उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद- श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में आज अदालत में मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कार्बन डेटिंग कराए जाने पर अपना पक्ष रखा. दलीलें सुनने के बाद अदालत ने 14 अक्टूबर को फैसले की तारीख मुकर्रर कर दी है. 7 तारीख को वाराणसी के जिला जज की अदालत में परिसर में मिले कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण को लेकर हिन्दू पक्ष ने अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करते हुए दावा किया कि वजूखाना में पाया गया शिवलिंग वाद का एक हिस्सा है.
हिन्दू पक्ष की इस बात पर तब अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के लोगों ने कहा कि आज हम तैयारी से नहीं आए थे. हम लोग ऑर्डर सुनने आए थे लेकिन अगर अब यह एक बात सामने आई है तो हमें समय दिया जाए और हम भी इसका जवाब देंगे. इसके बाद अदालत ने उन्हें 11 तारीख का समय दिया था.
पिछली तारीख पर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि जिला अदालत के समक्ष उन्होंने बताया कि हमने अपने वाद में यह पहले ही कहा है कि ज्ञानवापी परिसर के सभी दृश्य और अदृश्य देवताओं के दर्शन पूजन का अधिकार हिंदुओं को दिया जाय. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर के वजुखाने का पानी हटाने के बाद ‘शिवलिंग' प्रकट हुआ इसलिए यह हमारे वाद का हिस्सा है.
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जैन ने कहा कि कुछ लोगों ने भ्रम फैला रखा है कि कार्बन डेटिंग से शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है. इस पर हमने अदालत को बताया कि जहां कार्बन डेटिंग नहीं कराई जा सकती वहां वैज्ञानिक परीक्षण कराया जाय.
अदालत के बाहर पत्रकारों को जानकारी देते हुए हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ' अदालत ने कहा कि हम चाहते हैं कि आदेश पारित करने से पहले, कुछ प्रश्न हैं, जिन्हें आप हल कर दीजिये, अपना स्पष्टीकरण दे दीजिए. पहला यह है कि 16 मई को किये गय सर्वेक्षण कार्य के दौरान जो ‘शिवलिंग' वहां बरामद हुआ था, वह इस संपत्ति का हिस्सा है या नहीं ? और दूसरा वैज्ञानिक जांच के उद्देश्य से अदालत एक आयोग बना सकती है जिसमें कार्बन डेटिंग और अन्य प्रक्रियाएं अपनाई जा सकती है?''
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उन्होंने कहा कि हमने दो बिंदु रखे. पहला यह था कि हमने 'प्रत्यक्ष' और 'अप्रत्यक्ष' देवता की पूजा करने के अधिकार की मांग की थी. ‘शिवलिंग' जो 'वज़ूखाना' में था, पानी के नीचे था और यह पानी हटा दिए जाने के बाद 'अप्रत्यक्ष देवता' से ' प्रत्यक्ष देवता' बन गया. इसलिए, यह हमारे वाद का एक हिस्सा है.
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