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This Article is From May 19, 2022

ज्ञानवापी मामला : अजय मिश्रा की पेश की हुई सर्वे रिपोर्ट आधारहीन - मुस्लिम पक्ष के वकील

अभय नाथ यादव ने कहा कि कानूनी पहलू देखा जाए तो जिस आदमी को हटा दिया गया है वह रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर सकता. उन्होंने अपनी रिपोर्ट 17 तारीख के बाद पेश की है. जब वह 17 तारीख के बाद एडवोकेट कमिश्नर नहीं रहे तो वह रिपोर्ट आधारहीन है.  

ज्ञानवापी मामला : अजय मिश्रा की पेश की हुई सर्वे रिपोर्ट आधारहीन - मुस्लिम पक्ष के वकील
वाराणसी:

ज्ञानवापी मस्जिद और सिंगार गोरी मंदिर मामले में सर्वे की रिपोर्ट आज एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह ने अदालत में दाखिल कर दी है. वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने कहा कि एडवोकेट कमिश्नर को अदालत ने खुद हटा दिया था. बुधवार को पता चला है कि देर शाम उन्होंने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. जब अदालत ने उन्हें हटा दिया था तो वह बिना अधिकार की है. 17 तारीख के आदेश में अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि जो रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी वह विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह प्रस्तुत करेंगे. कानूनी पहलू देखा जाए तो जिस आदमी को हटा दिया गया है वह रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर सकता. उन्होंने अपनी रिपोर्ट 17 तारीख के बाद पेश की है. जब वह 17 तारीख के बाद एडवोकेट कमिश्नर नहीं रहे तो वह रिपोर्ट आधारहीन है.  

उन्होंने आगे कहा कि कानूनी तौर पर देखा जाए तो जब एडवोकेट कमिश्नर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देंगे, तब अदालत दोनों पक्ष से आपत्ति मांगेंगे, आपत्ति देने के बाद सुनवाई होगी. सुनवाई के बाद अदालत उस एडवोकेट कमीशन की रिपोर्ट मान सकती है और खारिज भी कर सकती है. मीडिया में सारी वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी दिखाई जा रही है, सब चैनल और प्रिंट मीडिया पर चल रहे हैं तो एडवोकेट कमिश्नर के रिपोर्ट ही वैलिड नहीं है. पूरी की पूरी कमीशन कार्रवाई संदिग्ध हो गई. अदालत में मैं सारी कार्रवाई करूंगा और कानूनी लड़ाई लड़ लूंगा. मैं अफवाह में नहीं जाऊंगा. वह फव्वारा है या शिवलिंग है, उसे एक विशेषज्ञ द्वारा ही तय किया जाएगा. उसे न मैं कर सकता हूं और ना विष्णु चयन कर सकते हैं, यह साक्ष्य का विषय है. 

बता दें कि विशाल सिंह ने आज एनडीटीवी से कहा कि हमने सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल कर दीहै. अजय मिश्रा ने पिछली शाम को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. हमने ये रिपोर्ट बिना किसी पक्षपात के तैयार की है. पिछले तीन दिनों से हम सोए नहीं थे. 70 पेज की ये रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में है. यह रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पेश की गई है.

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