विज्ञापन
This Article is From Mar 29, 2015

चैती गुलाब की खुशबू और सुरों की सरिता के बीच बनारस की पारंपरिक गुलाबबाड़ी की महफ़िल

वाराणसी : सात वार, नौ त्योहार वाले दुनिया के सबसे पुराने शहर और देश की सांस्कृतिक राजधानी कही जाने वाली काशी में आज भी कुछ परम्पराएं व मान्यताएं यथावत हैं। इन्हीं में से एक परंपरा है गुलाबबाड़ी की। चैत महीने मे चैती गुलाब की भीनी-भीनी खुशबू के बीच जब संगीत का रस बरसता है, तो उसमें सभी डूब जाते हैं। इस तरह की महफिल यहा सदियों से सजती आ रही है। इस महफिल की ख़ास बात ये है कि मर्द जहां कुर्ते-पायजामे में गुलाबी टोपी और दुपट्टे में रहते हैं, वहीं महिलाएं गुलाबी साड़ी पहनकर आती हैं और सबका स्वागत गुलाब जल और गुलाब की पंखुड़ियों से होता है।

चैती गुलाब की भीनी खुशबू के बीच ये महफ़िल वाराणसी के रविन्द्र पुरी कॉलोनी के नीलाम्बर लॉन में सजती है। होली की मस्ती की परंपरा की अंतिम कड़ी गुलाबबाड़ी में रंग-अबीर, गुलाल तो नहीं उड़ते पर चैती गुलाब की पंखुड़ियों की बौछार और उस पर संगीत के सुर लोगों के मन, प्राण और चेतन को रंगीन बना देते हैं।

इस दिन के लिए पुरुष और महिलाएं अपने कपड़ों की ख़ास तैयारी करते हैं। बिल्कुल शाही अंदाज में सजने वाली ये महफ़िल बनारसी अल्हड़पन की मिसाल है। जहां हर किसी के ऊपर गुलाबों  की पंखुडियों  की बौछार होती है, तो गुलाब जल की फुहार लोगों को गुदगुदाती भी है। यही माहौल मौसम के बदलते बेरुखे मिजाज को भी रंगीन बना देता है। पद्मभूषण छन्नू लाल कहते हैं, "यह बनारस की बहुत पुरानी परंपरा है। जब मौसम बदलता है, तब चैती गुलाब और संगीत के बीच इस तरह का आयोजन बनारस की उस पुरातन परंपरा का एहसास कराता है, जिसमें हमारी संस्कृति रची-बसी है और ये हमें बहुत  ठंडक देता है।



इस गुलाबी महफ़िल में शिरकत करने वालों का गुलाब की पंखुड़ियो और पान की गिलौरी से स्वागत किया जाता है।  जिस पर बनारस  की प्रसिद्ध ठंडई इनके  मिजाज़ को  तारी करती है।

हल्की गुलाबी ठंड के बीच जब तानपुरे से मधुर शास्त्रीय संगीत का स्वर निकलता है, तो ऐसा लगता है मानो खुले आसमान तले नीलाम्बर में सजी इस महफिल की गुलाबी तान से प्रकृति भी झूम रही है। आरंभ में गुलाब बाड़ी का आयोजन राजा माहाराजाओं के दरबार में हुआ करता था। इतिहास के इस लंबे सफ़र में इस परंपरा ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे, लेकिन इसके कद्रदानों की कमी कभी भी नहीं रही।

बनारस की यह गुलाबबाड़ी अब साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी बनने लगी है। बड़ी बाज़ार के निवासी शमीम अंसारी पिछले कई सालों से यहां लोगों को ठंडई पिलाने का जिम्मा संभालते हैं। अंसारी बेखौफ होकर बताते हैं कि गुलाबबाड़ी का इंतजार ईद से कम नही रहता। हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई के अलावा इसे देखने के लिए सात समंदर पार से भी लोग यहां चले आते हैं और हर कोई मस्ती के रंग में डूब जाना चाहता है। शायद यही वजह है कि गुलाब बाड़ी अब मस्ती के साथ साथ बनारस की पहचान भी बनती जा रही है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
बनारस की गुलाब बाड़ी, चैती गुलाब, वाराणसी, रविन्द्र पुरी कॉलोनी, Gulab Bari, Special Event Of Varanasi
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com