पटेल आंदोलन की तस्वीर (फाइल फोटो)
अहमदाबाद:
अहमदाबाद के बापूनगर इलाके में पाटीदार आंदोलन की हिंसा के दौरान मारे गए 32 साल के युवक के घर यहां के स्थानीय भाजपा विधायक वल्लभ काकडिया पहुंचे। 25 अगस्त की रात में हिंसा शुरू होने के बाद यह उनका अपने इलाके का पहला दौरा था।
सूत्रों ने बताया है कि भाजपा ने अपने सभी पटेल विधायकों को अपने-अपने इलाकों का दौरा कर पटेल समुदाय के लोगों से बात कर उन्हें सांत्वना देने के आदेश दिए हैं। आखिर पटेल हमेशा से भाजपा के समर्थक रहे हैं। करीब दो माह पहले जब आरक्षण की मांग को लेकर पाटीदारों (पटेलों) का आंदोलन शुरू हुआ, तभी से भाजपा ने अपने आपको इस आंदोलन से अलग रखा। इससे पटेल लोग नाराज थे। 25 अगस्त को जब लाखों पटेलों ने अहमदाबाद के जीएमडीसी ग्राउंड में रैली निकाली तब भी निशाने पर राज्य की आनंदीबेन पटेल सरकार थी।
पटेलों के समर्थन से सरकार बनी और अब भी सरकार में पटेलों का दबदबा है। मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल हैं। कैबिनेट स्तर के 8 मंत्रियों में से 3 पटेल हैं। राज्य स्तर के 16 मंत्रियों में से भी 5 पटेल हैं। पटेलों में गुस्सा इसी बात को लेकर है कि इसके बावजूद सरकार पटेलों का साथ नहीं दे रही।
पुलिस ने बलप्रयोग कर पटेलों के 22 साल के नए उभर रहे नेता हार्दिक पटेल को गिरफ्तार किया। मौजूद लोगों पर लाठीचार्ज किया। इस सबने पटेलों में मौजूदा सरकार के प्रति और गुस्सा पैदा किया। इस कार्रवाई से उठी हिंसा ने जहां सरकारी सम्पत्ति को निशाना बनाया वहीं भाजपा से जुड़े पटेल नेता भी इसके शिकार हुए। राज्य की गृह राज्यमंत्री रजनी पटेल का महेसाणा में घर फूंक दिया गया। अन्य भाजपा विधायकों और मंत्रियों के घरों पर पथराव हुआ।
हिंसा को रोकने की कार्रवाई के दौरान पुलिस के अत्याचार की जो तस्वीरें सामने आईं, उसने पटेलों में भाजपा के प्रति नाराजगी पैदा की। इन हालात में अब तक भीड़ से दूर भाग रहे भाजपा के पटेल नेताओं को आदेश दिया गया है कि वे अपने इलाकों में जाएं। हो सकता है उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़े, लेकिन फिर भी यदि वह पटेलों को मनाने में सफल रहे तो शायद वे फिर भाजपा के साथ आएं। हालांकि हार्दिक पटेल केम्प अब भी आनंदीबेन पटेल सरकार से खफा है। ऐसे में यह काम भाजपा के लिए आसान नहीं है।
सूत्रों ने बताया है कि भाजपा ने अपने सभी पटेल विधायकों को अपने-अपने इलाकों का दौरा कर पटेल समुदाय के लोगों से बात कर उन्हें सांत्वना देने के आदेश दिए हैं। आखिर पटेल हमेशा से भाजपा के समर्थक रहे हैं। करीब दो माह पहले जब आरक्षण की मांग को लेकर पाटीदारों (पटेलों) का आंदोलन शुरू हुआ, तभी से भाजपा ने अपने आपको इस आंदोलन से अलग रखा। इससे पटेल लोग नाराज थे। 25 अगस्त को जब लाखों पटेलों ने अहमदाबाद के जीएमडीसी ग्राउंड में रैली निकाली तब भी निशाने पर राज्य की आनंदीबेन पटेल सरकार थी।
पटेलों के समर्थन से सरकार बनी और अब भी सरकार में पटेलों का दबदबा है। मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल हैं। कैबिनेट स्तर के 8 मंत्रियों में से 3 पटेल हैं। राज्य स्तर के 16 मंत्रियों में से भी 5 पटेल हैं। पटेलों में गुस्सा इसी बात को लेकर है कि इसके बावजूद सरकार पटेलों का साथ नहीं दे रही।
पुलिस ने बलप्रयोग कर पटेलों के 22 साल के नए उभर रहे नेता हार्दिक पटेल को गिरफ्तार किया। मौजूद लोगों पर लाठीचार्ज किया। इस सबने पटेलों में मौजूदा सरकार के प्रति और गुस्सा पैदा किया। इस कार्रवाई से उठी हिंसा ने जहां सरकारी सम्पत्ति को निशाना बनाया वहीं भाजपा से जुड़े पटेल नेता भी इसके शिकार हुए। राज्य की गृह राज्यमंत्री रजनी पटेल का महेसाणा में घर फूंक दिया गया। अन्य भाजपा विधायकों और मंत्रियों के घरों पर पथराव हुआ।
हिंसा को रोकने की कार्रवाई के दौरान पुलिस के अत्याचार की जो तस्वीरें सामने आईं, उसने पटेलों में भाजपा के प्रति नाराजगी पैदा की। इन हालात में अब तक भीड़ से दूर भाग रहे भाजपा के पटेल नेताओं को आदेश दिया गया है कि वे अपने इलाकों में जाएं। हो सकता है उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़े, लेकिन फिर भी यदि वह पटेलों को मनाने में सफल रहे तो शायद वे फिर भाजपा के साथ आएं। हालांकि हार्दिक पटेल केम्प अब भी आनंदीबेन पटेल सरकार से खफा है। ऐसे में यह काम भाजपा के लिए आसान नहीं है।
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