गुजरात में करीब 8,000 कांस्टेबलों और सब-इंस्पेक्टरों की भर्ती के लिए करीब सात लाख उम्मीदवारों की शारीरिक परीक्षा शुरू हो गई है, लेकिन इस बार उम्मीदवारों का उत्साह उफान पर है, और अब उन्हें लग रहा है कि शायद उन्हें भ्रष्टाचार से निजात मिल जाएगी।
अब तक हमेशा ही पुलिस की भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। हमेशा ये खबरें आती रही हैं कि पैसे लेकर किसी को शारीरिक परीक्षा में पास या फेल किया जाता है, लेकिन अब इस तरह के आरोपों से निजात पाने के लिए पुलिस विभाग ने पूरी प्रक्रिया को हाईटेक बना दिया है। अब दौड़ लगाने वाले उम्मीदवारों के पैरों में डिजिटल माइक्रोचिप लगाए जाते हैं। उनकी दौड़ की पूरी प्रक्रिया के समय को बारीकी से नोट करने के लिए हाई-डेफिनिशन कैमरा भी लगाए गए हैं। ठीक वैसे ही कैमरे, जैसे ओलिम्पिक में लगाए जाते हैं, और पूरी प्रक्रिया पर पैनी नज़र रखने के लिए पूरे मैदान में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
भर्ती प्रक्रिया के मुखिया मनोज अग्रवाल और जीएस मलिक कहते हैं कि अब टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग करने से इंसानी दखल बेहद कम हो गया है। अब फॉर्म भी ऑनलाइन भरे जाते हैं। उम्मीदवारों को कॉल लेटर्स भी ऑनलाइन ही भेजे जाते हैं। एक बार कॉल लेटर्स ऑनलाइन रख दिए गए तो उम्मीदवारों को एसएमएस के जरिये भी जानकारी दी जाती है, यानि सब कुछ ऑटोमैटिक। भ्रष्टाचार की संभावना काफी कम।
इस तरह की प्रक्रिया से उम्मीदवारों में भी यह विश्वास पैदा हुआ है कि अब अगर उनमें काबिलियत है तो उन्हें पैसे देकर सीट हथियाने वालों से डरने की ज़रूरत नहीं है। सब कुछ ऑटोमैटिक और कैमरे की निगाहो में हो रहा है, तो ज़रूरत पड़ने पर कोर्ट में ये डॉक्युमेंट्स वे मांग भी सकते हैं।
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