पाटीदार समुदाय के नेता हार्दिक पटेल. (फाइल फोटो)
अहमदाबाद:
एक अदालत ने अगस्त 2015 में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के संगठन द्वारा प्रदर्शन के दौरान हिंसा के संबंध में अहमदाबाद अपराध शाखा की ओर से दायर राजद्रोह के एक मामले में उनकी आरोपमुक्त करने की मांग वाली याचिका आज खारिज कर दी.
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सत्र अदालत के न्यायाधीश दिलीप महिदा ने पटेल की आरोपमुक्त करने की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए इस मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने की अनुमति दी. पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेता फिलहाल जमानत पर हैं. उन्हें उच्च न्यायालय ने जून 2016 में जमानत पर रिहा कर दिया था. अदालत ने अभियोजन का यह अनुरोध स्वीकार किया कि हार्दिक के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, जिनके आधार पर आरोप तय किए जा सकते हैं.
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अदालत ने सह आरोपी से सरकारी गवाह बने केतन पटेल की गवाही पर विचार किया और कहा कि हार्दिक, दिनेश बमभानिया और चिराग पटेल के खिलाफ भादंसं की धाराओं 121 ए (आपराधिक बल से या आपराधिक बल दिखाकर राज्य या केंद्र सरकार को आतंकित करने की साजिश), 124 ए (देशद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला बनता है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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अदालत ने सह आरोपी से सरकारी गवाह बने केतन पटेल की गवाही पर विचार किया और कहा कि हार्दिक, दिनेश बमभानिया और चिराग पटेल के खिलाफ भादंसं की धाराओं 121 ए (आपराधिक बल से या आपराधिक बल दिखाकर राज्य या केंद्र सरकार को आतंकित करने की साजिश), 124 ए (देशद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला बनता है.
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