हर साल 1 जुलाई को मनाया जाएगा GST दिवस, कुछ ऐसा रहा जीएसटी का सफर

जीएसटी केंद्र और राज्यों के दर्जन से अधिक उपकरों जैसे फैक्ट्री गेट, उत्पाद शुल्क, सेवा, स्थानीय बिक्री कर या वैट को समाहित करेगा.

हर साल 1 जुलाई को मनाया जाएगा GST दिवस, कुछ ऐसा रहा जीएसटी का सफर

'एक राष्ट्र एक कर' को आकार देने वाली जीएसटी यात्रा भी कम रोचक नहीं रही.

खास बातें

  • करीब 17 साल के उतार-चढ़ाव के बाद 1 जुलाई से लागू होगा जीएसटी
  • आजादी के 70 सालों के इतिहास में भारत का सबसे बड़ा कर सुधार
  • केंद्र और राज्यों के दर्जन से अधिक उपकरों समाहित करेगा
नई दिल्ली:

करीब 17 साल के उतार चढ़ाव के बाद राष्ट्रव्यापी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) शुक्रवार को आधी रात को लागू हो जाएगा. यह व्यवस्था इस प्रकार भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव लाते हुए एकल बाजार में 2,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था और 1.3 अरब लोगों को परस्पर जोड़ेगी. जीएसटी को आजादी के 70 सालों के इतिहास में भारत का सबसे बड़ा कर सुधार बताया जा रहा है. यह केंद्र और राज्यों के दर्जन से अधिक उपकरों जैसे फैक्ट्री गेट, उत्पाद शुल्क, सेवा, स्थानीय बिक्री कर या वैट को समाहित करेगा. 'एक राष्ट्र एक कर' को आकार देने वाली जीएसटी यात्रा भी कम रोचक नहीं रही. कई बाधाएं आई लेकिन अंतत: आज का दिन ऐतिहासिक बनने जा रहा है. मोदी सरकार इसे पूरी तरह से ऐतिहासिक बनाने जा रही हैं. इतना ही नहीं अब हर वर्ष एक जुलाई को जीएसटी दिवस मनाया जाएगा. कुछ ऐसा रहा है अब तक जीएसटी का सफर :  

फरवरी, 1986 : वित्त्त मंत्री वीपी सिंह ने 1986-87 के बजट में उत्पाद कराधान व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव करने का प्रस्ताव रखा. 
2000: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने यह अवधारणा पेश की और जीएसटी मॉडल का डिजायन तय करने के लिए पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति गठित की. 
2003: वाजपेयी सरकार ने कर सुधारों की सिफारिश करने के लिए विजय केलकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया.
2004: वित्त मंत्रालय में तत्कालीन सलाहकार विजय केलकर ने वर्तमान कर व्यवस्था के स्थान पर जीएसटी की सिफारिश की.
28 फरवरी, 2006: पहली बार बजट भाषण में जीएसटी का उल्लेख हुआ. वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी लागू करने की समय सीमा एक अप्रैल 2010 तय की. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रियों की उच्चाधिकार समिति जीएसटी के लिए रोडमैप तैयार करेगी.
2008 : राज्यों के वित्त मंत्रियों की उच्चाधिकार समिति का गठन. 30 अप्रैल, 2008 को उच्चाधिकार समिति ने सरकार को 'भारत में वस्तु एवं सेवा कर का मॉडल एवं रोडमैप' नामक रिपोर्ट सौंपी.
10 नवंबर, 2009 : उच्चाधिकार समिति ने जीएसटी पर परिचर्चा पत्र जारी किया.
2009: वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने दासगुप्ता समिति द्वारा डिजायन किये गये जीएसटी के मूल ढांचे की घोषणा की तथा 2010 की समय सीमा बनाए रखी. भाजपा ने जीएसटी मूल ढांचे का विरोध किया.
फरवरी, 2010 : वित्त मंत्रालय ने जीएसटी लागू करने के वास्ते बुनियाद डालने के लिए राज्यों में वाणिज्यिक करों का मिशन मोड कंप्यूटरीकरण शुरू किया. प्रणब मुखर्जी ने 1अप्रैल 2011 तक के लिए जीएसटी टाला.
22 मार्च, 2011 : संप्रग द्वितीय ने जीएसटी लाने के लिए लोकसभा में 115 वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया.
29 मार्च, 2011 : जीएसटी विधेयक यशवंत सिन्हा की अगुवाई वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया.असीम दासगुप्ता ने इस्तीफा दिया, तब केरल के वित्त मंत्री मंत्री के एम मणि ने उनका न लिया.
नवंबर, 2012 : वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक की और जीएसटी को लागू करने के लिए 31 दिसंबर, 2012 तक सभी मुद्दों को सुलझाने का फैसला किया. 
फरवरी, 2013 : जीएसटी लागू करने के संप्रग सरकार के निश्चय का एलान करते हुए चिदम्बरम ने अपने बजट ने जीएसटी की वजह से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 9,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया.
अगस्त, 2013 : संसदीय समिति ने जीएसटी में सुधारों का सुझाव देते हुए संसद को रिपोर्ट सौंपी. जीएसटी विधयेक संसद में पेश किये जाने के लिए तैयार.
अक्टूबर, 2013 : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहते हुए जीएसटी का विरोध किया कि राज्य को जीएसटी की वजह से हर साल 14,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
2014: स्थायी समिति द्वारा मंजूर जीएसटी विधेयक की समय सीमा समाप्त क्योंकि लोकसभा भंग हो गई. भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार सत्ता में आई.
18 दिसंबर, 2014 : मंत्रीमंडल ने जीएसटी के लिए 122 वां संविधान मंजूर किया.
19 दिसंबर 2014: वित्त मंत्री अरण जेटली ने लोकसभा में जीएसटी से संबंधित संशोधन (122 वां संविधान संशोधन) विधेयक पेश किया जिसका कांग्रेस ने विरोध किया.
फरवरी, 2015: जेटली ने जीएसटी लागू करने के लिए एक अप्रैल, 2016 की समय सीमा तय की.
6 मई 2016: लोकसभा ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया.
12 मई, 2105 : राज्यसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया. कांग्रेस ने इस विधेयक को राज्यससभा की प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की. उसने 18 प्रतिशत की जीएसटी सीमा की मांग की.
14 मई, 2015 : जीएसटी विधेयक राज्यसभा एवं लोकसभा की संयुक्त समिति के पास भेजा गया.
अगस्त, 2015: सरकार को राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने के लिए विपक्ष का समर्थन हासिल नहीं हुआ जहां उसके पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है.
जुलाई, 2016: सरकार ने 18 प्रतिशत जीएसटी संवैधानिक सीमा को मंजूरी नहीं दी. इस विषय पर उसे राज्यों का समर्थन मिला. अगस्त में कांग्रेस और भाजपा संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने पर राजी हुईं. 
तीन अगस्त, 2016 : राज्यसभा ने दो तिहाई बहुमत से संविधान संशोधन विधेयक पारित किया.
दो सितंबर, 2016 : 16 राज्यों ने जीएसटी विधयेक को अनुमोदित किया. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विधेयक को अपनी मंजूरी दी. 12 सितंबर को केंद्रीय मंत्रीमंडल ने जीएसटी परिषद के गठन को मंजूरी दी.
22-23 सितंबर : परिषद की पहली बैठक हुई. तीन नवंबर को जीएसटी परिषद 5,12,18 और 28 ञ् की चार स्तरीय कर ढांचे पर सहमत हुई. परिषद विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर अतिरिक्त उपकर लगाने पर भी राजी हुई.
16 जनवरी, 2017: जेटली ने जीएसटी लागू करने की समयसीमा एक जुलाई तय की. केंद्र और राज्यों के बीच दोहरा नियंत्रण और समुद्र में वस्तुओं पर कराधान के विवादास्पद मुद्दे पर सहमति बनी.
18 फरवरी : जीएसटी परिषद ने जीएसटी लागू करने के पहले पांच सालों में राज्यों को होने वाले किसी भी राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए क्षतिपूर्त विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया.
20 मार्च: मंत्रीमंडल ने सीजीएसटी, आईजीएसटीऔर यूटी जीएसटी और क्षतिपूर्त विधेयक मंजूरी दी. लोकसभा और राज्यसभा ने चारों अहम जीएसटी विधेयकों- केंद्रीय जीएसटी , समेकित जीएसटी, राज्य जीएसटी और केंद्रशासित प्रदेश जीएसटी (यूटीजीएटी) को पारित किया.
18 मई : जीएसटी परिषद ने 1200 से अधिक वस्तुओं को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के जीएसटी खांचों में समायोजित किया. जीएसटी परिषद ने राज्यों को मुआवजा देने के लिए कोष तैयार करने के वास्ते विलासिता एवं अहितकर वस्तुओं पर उपकर तय किया.


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