पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
करीब सालभर पहले देश में किसानों को फसल बर्बादी की समस्या से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू हुई थी. यह ज़मीन पर किस तरह से लागू हो रही है ये देखने के लिए मैं हरियाणा के झज्जर ज़िले के गांव पहुंचा. सबसे पहले मैं छुड़ानी गांव पहुंचा. प्रवीण कुमार 3 एकड़ में खेती करते हैं. शिकायत है कि खेती के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया तो बैंक ने मनाही के बावजूद बीमा करके प्रीमियम का पैसा काट लिया. प्रवीण के मुताबिक- मैंने कृषि कार्ड बनवाया है. पिछली बार जबर्दस्ती मेरे पैसे काट लिए गए लेकिन मैंने मना किया फिर भी इस बार फिर पैसे काट लिए.
विजय कुमार का पिछले सीजन में बैंक ने जबरन बीमा किया, लेकिन मक्का और कपास की फसल खराब होने के बावजूद जब क्लेम का पैसा नहीं मिला तो इस बार बैंक को बीमा के लिए मना किया, लेकिन बैंक ने फिर भी जनवरी में प्रीमियम का पैसा काट लिया.
विजय ने बताया, मैं डायरेक्ट जाकर कहकर आया था कि सर मेरे कृषि कार्ड से पैसे नहीं कटने चाहिए. मैं बीमा नहीं करवाना चाहता. पिछली बार कराया था तो कुछ नहीं मिला तो अब क्या फायदा. फिर भी ज़बरदस्ती कर दिया. उन्होंने तभी कह दिया था कि नहीं करवाना तो कृषि कार्ड बंद करवा दो अपना अब आप बताइए कार्ड कैसे बंद करवा दें?
यही नहीं फसल बीमा करते वक़्त बैंक को ये तक नहीं पता कि किसान ने फसल कौन-सी लगाई है. करीब 6 एकड़ में खेती करने किसान सुधीर ने बताया कि जी हमने फसल तो बाजरे की लगाई लेकिन बैंक ने बीमा हमारा धान का कर दिया.
पास ही के गांव दुल्हेड़ा के किसान कृष्ण चंद्र देशवाल ने 4 एकड़ धान अगस्त में खराब होने पर बीमा कंपनी में क्लेम के लिए फ़ोन किया लेकिन आज तक सर्वे नहीं हुआ बीमा की रकम भूल जाइए. कृष्ण चंद्र देशवाल के मुताबिक- आईसीआईसीआई लोम्बार्ड में फ़ोन किया तो उन्होंने कहा कि पूरे गांव की फसल खराब होगी तो सर्वे किया जाएगा अकेले का नहीं किया जाएगा.
बैंक पहुंचा तो बाहर ही पोस्टर लिखा था कि किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लेने पर बीमा अनिवार्य है. बैंक मैनेजर हरीश मखीजा ने बताया कि गाइडलाइन्स ये हैं कि जिसको कृषि कार्ड मिलेगा उसको बीमा करना होगा. इस कहानी में दो तीन सवाल हैं. पहला यह कि बीमा आग्रह की वस्तु है यानी किसान की सहमति के बिना बीमा करके उसके खाते से प्रीमियम का पैसा जबरन कैसे काटा जा सकता है? दूसरा बैंक बीमा करे तो उस फसल का करे जो किसान ने बोई है. और तीसरा किसान को फसल खराब होने पर बीमे का पैसा तो मिले वरना इस फसल बीमा योजना का फायदा क्या हुआ?
विजय कुमार का पिछले सीजन में बैंक ने जबरन बीमा किया, लेकिन मक्का और कपास की फसल खराब होने के बावजूद जब क्लेम का पैसा नहीं मिला तो इस बार बैंक को बीमा के लिए मना किया, लेकिन बैंक ने फिर भी जनवरी में प्रीमियम का पैसा काट लिया.
विजय ने बताया, मैं डायरेक्ट जाकर कहकर आया था कि सर मेरे कृषि कार्ड से पैसे नहीं कटने चाहिए. मैं बीमा नहीं करवाना चाहता. पिछली बार कराया था तो कुछ नहीं मिला तो अब क्या फायदा. फिर भी ज़बरदस्ती कर दिया. उन्होंने तभी कह दिया था कि नहीं करवाना तो कृषि कार्ड बंद करवा दो अपना अब आप बताइए कार्ड कैसे बंद करवा दें?
यही नहीं फसल बीमा करते वक़्त बैंक को ये तक नहीं पता कि किसान ने फसल कौन-सी लगाई है. करीब 6 एकड़ में खेती करने किसान सुधीर ने बताया कि जी हमने फसल तो बाजरे की लगाई लेकिन बैंक ने बीमा हमारा धान का कर दिया.
पास ही के गांव दुल्हेड़ा के किसान कृष्ण चंद्र देशवाल ने 4 एकड़ धान अगस्त में खराब होने पर बीमा कंपनी में क्लेम के लिए फ़ोन किया लेकिन आज तक सर्वे नहीं हुआ बीमा की रकम भूल जाइए. कृष्ण चंद्र देशवाल के मुताबिक- आईसीआईसीआई लोम्बार्ड में फ़ोन किया तो उन्होंने कहा कि पूरे गांव की फसल खराब होगी तो सर्वे किया जाएगा अकेले का नहीं किया जाएगा.
बैंक पहुंचा तो बाहर ही पोस्टर लिखा था कि किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लेने पर बीमा अनिवार्य है. बैंक मैनेजर हरीश मखीजा ने बताया कि गाइडलाइन्स ये हैं कि जिसको कृषि कार्ड मिलेगा उसको बीमा करना होगा. इस कहानी में दो तीन सवाल हैं. पहला यह कि बीमा आग्रह की वस्तु है यानी किसान की सहमति के बिना बीमा करके उसके खाते से प्रीमियम का पैसा जबरन कैसे काटा जा सकता है? दूसरा बैंक बीमा करे तो उस फसल का करे जो किसान ने बोई है. और तीसरा किसान को फसल खराब होने पर बीमे का पैसा तो मिले वरना इस फसल बीमा योजना का फायदा क्या हुआ?
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