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This Article is From May 26, 2023

ऐतिहासिक 'सेंगोल' अब बढ़ाएगा संसद की शोभा, NDTV से बोले निर्माता- बेहद गर्व महसूस कर रहे...

चांदी से निर्मित और सोने की परत वाले इस ऐतिहासिक सेंगोल को 28 मई को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया जाएगा.

ऐतिहासिक 'सेंगोल' अब बढ़ाएगा संसद की शोभा, NDTV से बोले निर्माता- बेहद गर्व महसूस कर रहे...
1947 में सेंगोल को बनाने में लगभग 50 हजार रुपये का खर्च आया था
नई दिल्‍ली:

सेंगोल अगस्‍त 1947 में अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उपहार के रूप में दिया गया था, जिसे रविवार को नई संसद में रखा जाएगा. इसे लेकर चेन्नई में वुम्मिदी बंगारू चेट्टी परिवार बेहद उत्साहित है. इस परिवार के 95 वर्षीय बुजुर्ग एथिराज ने 76 साल पहले सेंगोल को अपने हाथों से तराशा था. NDTV ने इस परिवार से बात की, जिसे इस बड़े अवसर के लिए विशेष निमंत्रण मिला है.

अधीनम के नेता ने 'सेंगोल' (पांच फीट लंबाई) बनाने के लिए जौहरी वुम्मिदी बंगारू चेट्टी को नियुक्त किया था. वुम्मिदी बंगारू ज्वैलर्स की आधिकारिक वेबसाइट में राजदंड के बारे में उल्लेख है और नेहरू की एक दुर्लभ तस्वीर भी है, जिसे ‘सेंगोल' पर लघु फिल्म में भी दिखाया गया है. मूल राजदंड के निर्माण में शामिल दो व्यक्तियों- वुम्मिदी एथिराजुलु (96) और वुम्मिदी सुधाकर (88) के नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने की उम्मीद है.

एथिराज जब लगभग 20 साल के थे, तब उन्‍होंने सेंगोल को बनाया था. वह बातते हैं, "मेरे लिए ये बेहद गर्व का पल है. हम साधारण से सुनारों ने एक बेहद खास चीज का निर्माण किया, जो आज इतिहास के पन्‍नों में दर्ज है." वह बताते हैं कि सेंगोल के बनाने की प्रक्रिया उन्‍हें आज भी याद है. इसके लिए हमनें कई दस्‍तावेज जमा किए थे. कई कलाकृतियों को देखा, तब कहीं जाकर इसे डिजाइन किया गया था. 

वहीं, चेट्टी परिवार के अन्‍य सदस्‍य वुम्मिदी सुधाकर ने बताया, "हम 'सेंगोल' के निर्माता हैं. इसे बनाने में हमें एक महीने का समय लगा. यह चांदी और सोने की परत से बना है. मैं उस वक्त 14 साल का था. मैंने बड़े भाई के निर्देशन में इस पर काम किया था. हम सेंगोल को सौंपने की समान प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए पीएम मोदी के आभारी हैं," 

उन्‍होंने बताया कि 1947 में सेंगोल को बनाने में लगभग 50 हजार रुपये का खर्च आया था.

एक सूत्र ने बताया, कि रस्मी राजदंड को इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू गैलरी के हिस्से के रूप में जवाहरलाल नेहरू से जुड़ी कई अन्य ऐतिहासिक वस्तुओं के साथ रखा गया था. संग्रहालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संग्रहालय के वर्तमान भवन की आधारशिला 14 दिसंबर, 1947 को नेहरू द्वारा रखी गई थी और इसे 1954 में कुंभ मेले के समय जनता के लिए खोला गया था.

चांदी से निर्मित और सोने की परत वाले इस ऐतिहासिक सेंगोल को 28 मई को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया जाएगा. अगस्त 1947 में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया गया रस्मी राजदंड (सेंगोल) इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू दीर्घा में रखा गया था.

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