नई दिल्ली:
मणिपुर में भारतीय जवानों पर हमले में शामिल उग्रवादी संगठन एनएससीएन (के) को गृह मंत्रालय जल्द ही दोबारा प्रतिबंधित संगठनों की सूचि में डालने वाला है।
एनडीटीवी को गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाल के हुए हमले और पिछली कुछ वारदातों के चलते एसएस खापलांग नीत इस नगा उग्रवादी समूह को गैरकानूनी घोषित करने के लिए एक नोट भी तैयार कर लिया गया है, जिसे कैबिनेट की अगली बैठन में पेश किया जाएगा।
दरअसल एनएससीएन-के साल 2001 तक प्रतिबंधित संगठन था, लेकिन सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौता करने के बाद इस पर से प्रतिबंध हटा लिया गया। गृह मंत्रालय की मानें तो इस उग्रवादी गुट का नेता खापलांग उत्तर-पूर्व राज्यों का मोस्ट वांटेड अपराधी हो गया है।
आपको बता दें कि खापलांग नगा समुदाय से है और म्यांमार में रहता है। इस संगठन के ज्यादातर शिविर वहीं स्थित माने जाते हैं।
खापलांग की सबसे बड़ी कामयाबी यही रही कि उसने उत्तर-पूर्व राज्यों में सक्रीय पांच विद्रोही गुटों यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (स्वतंत्र), नेशनलिस्ट सोशलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल (खापलांग), कामतापुर मुक्ति संगठन (केएलओ) और बोडोलैंड नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (सोंगबिजित) को एक साथ कर दिया। वह उत्तर-पूर्व और म्यांमार के नगा बहुल इलाकों को को आजाद कराना चाहता है।
रॉ की जानकारी के मुताबिक, खापलांग ने म्यांमार की आर्म्ड फोर्सेज के साथ एक समझोता किया है, जिसके तहत उसे म्यांमार के कुछ इलाकों में अपनी सरकार चलाने की इजाजत है। जानकारी यह भी है फिलहाल वह यांगून के एक आर्मी अस्पताल में अपनी किडनी का इलाज़ करवा रहा है।
एनडीटीवी को गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाल के हुए हमले और पिछली कुछ वारदातों के चलते एसएस खापलांग नीत इस नगा उग्रवादी समूह को गैरकानूनी घोषित करने के लिए एक नोट भी तैयार कर लिया गया है, जिसे कैबिनेट की अगली बैठन में पेश किया जाएगा।
दरअसल एनएससीएन-के साल 2001 तक प्रतिबंधित संगठन था, लेकिन सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौता करने के बाद इस पर से प्रतिबंध हटा लिया गया। गृह मंत्रालय की मानें तो इस उग्रवादी गुट का नेता खापलांग उत्तर-पूर्व राज्यों का मोस्ट वांटेड अपराधी हो गया है।
आपको बता दें कि खापलांग नगा समुदाय से है और म्यांमार में रहता है। इस संगठन के ज्यादातर शिविर वहीं स्थित माने जाते हैं।
खापलांग की सबसे बड़ी कामयाबी यही रही कि उसने उत्तर-पूर्व राज्यों में सक्रीय पांच विद्रोही गुटों यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (स्वतंत्र), नेशनलिस्ट सोशलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल (खापलांग), कामतापुर मुक्ति संगठन (केएलओ) और बोडोलैंड नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (सोंगबिजित) को एक साथ कर दिया। वह उत्तर-पूर्व और म्यांमार के नगा बहुल इलाकों को को आजाद कराना चाहता है।
रॉ की जानकारी के मुताबिक, खापलांग ने म्यांमार की आर्म्ड फोर्सेज के साथ एक समझोता किया है, जिसके तहत उसे म्यांमार के कुछ इलाकों में अपनी सरकार चलाने की इजाजत है। जानकारी यह भी है फिलहाल वह यांगून के एक आर्मी अस्पताल में अपनी किडनी का इलाज़ करवा रहा है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं