नई दिल्ली:
मोदी सरकार ने बाबा साहब भीम राव अंबेडकर, ज्योति बा फुले, संत रविदास, कबीरदास जैसे महापुरुषों पर आधारित कार्यक्रमों के जरिए दलितों सहित समाज के कमजोर वर्गों तक पहुंच बनाने की पहल करते हुए ऐसे महापुरुषों से जुड़े कार्यक्रमों के आयोजन करने वाली संस्थाओं को आर्थिक मदद देने का निर्णय किया गया है.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने महापुरुषों की जयंती मनाने, महापरिनिर्वाण दिवस या कोई अन्य दिवस या कार्यक्रम के लिए, उन महापुरुषों की सोच एवं विचार को प्रचारित करने के लिए आर्थिक मदद देने का निर्णय किया है. उन्होंने कहा कि अगर कोई संस्थान बाबा साहब भीम राव अंबेडकर, ज्योति बा फुले, रविदास, कबीरदास, गुरु घासी राम समेत ऐसे महापुरुषों, जिन्होंने समाज के कमजोर वर्गो एवं पिछड़ों के कल्याण के लिए काम किया हो, उनकी जयंती या पुण्यतिथि मनाता है, तो सरकार उन संस्थाओं को आर्थिक मदद देगी.
सामाजिक न्याय मंत्री ने कहा कि पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. उनकी सरकार ने यह निर्णय लिया है. कोई एनजीओ, सामाजिक संगठन या पंजीकृत संगठन ऐसे महापुरुषों की जयंती, पुण्यतिथि या उनसे जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन करती है तो सरकार उन्हें पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की 125वीं जयंती वर्ष मनाने का निर्णय किया है. इसके अलावा अंबेडकर से जुड़े स्थलों को पंचतीर्थ घोषित किया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने तय किया है कि अंबेडकर की जन्मस्थली इंदौर जिले में महू को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा और इस दिशा में महू का नाम अंबेडकर नगर कर दिया गया है. इसके अलावा जहां अंबेडकर जी ने पढ़ाई की, उन स्थानों पर विश्वविद्यालय के 100 छात्रों को भेजा गया है.
उन्होंने बताया कि बाबा साहब की शिक्षा स्थली लंदन में जहां उन्होंने अध्ययन किया, उस स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है. इसके अलावा, नागपुर में जहां उन्होंने दीक्षा ली, उसे दीक्षा स्थली घोषित किया गया है और महाराष्ट्र सरकार ने 300 करोड़ रुपये की राशि से उसका विस्तार करने की पहल की है.
सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय ने इस संबंध में 9 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. बाबा साहब का निधन अलीपुर रोड में हुआ था और उस स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है और 100 करोड़ रुपये की लागत से भव्य स्मारक बनाया जा रहा है. बाबा साहब का अंतिम संस्कार जहां हुआ था, उसे चैत्य भूमि घोषित किया गया है.महाराष्ट्र सरकार ने इंदु मिल की जमीन का अधिग्रहण किया है और 300 करोड़ रुपये की लागत से इसका विकास किया जाएगा.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने महापुरुषों की जयंती मनाने, महापरिनिर्वाण दिवस या कोई अन्य दिवस या कार्यक्रम के लिए, उन महापुरुषों की सोच एवं विचार को प्रचारित करने के लिए आर्थिक मदद देने का निर्णय किया है. उन्होंने कहा कि अगर कोई संस्थान बाबा साहब भीम राव अंबेडकर, ज्योति बा फुले, रविदास, कबीरदास, गुरु घासी राम समेत ऐसे महापुरुषों, जिन्होंने समाज के कमजोर वर्गो एवं पिछड़ों के कल्याण के लिए काम किया हो, उनकी जयंती या पुण्यतिथि मनाता है, तो सरकार उन संस्थाओं को आर्थिक मदद देगी.
सामाजिक न्याय मंत्री ने कहा कि पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. उनकी सरकार ने यह निर्णय लिया है. कोई एनजीओ, सामाजिक संगठन या पंजीकृत संगठन ऐसे महापुरुषों की जयंती, पुण्यतिथि या उनसे जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन करती है तो सरकार उन्हें पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की 125वीं जयंती वर्ष मनाने का निर्णय किया है. इसके अलावा अंबेडकर से जुड़े स्थलों को पंचतीर्थ घोषित किया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने तय किया है कि अंबेडकर की जन्मस्थली इंदौर जिले में महू को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा और इस दिशा में महू का नाम अंबेडकर नगर कर दिया गया है. इसके अलावा जहां अंबेडकर जी ने पढ़ाई की, उन स्थानों पर विश्वविद्यालय के 100 छात्रों को भेजा गया है.
उन्होंने बताया कि बाबा साहब की शिक्षा स्थली लंदन में जहां उन्होंने अध्ययन किया, उस स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है. इसके अलावा, नागपुर में जहां उन्होंने दीक्षा ली, उसे दीक्षा स्थली घोषित किया गया है और महाराष्ट्र सरकार ने 300 करोड़ रुपये की राशि से उसका विस्तार करने की पहल की है.
सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय ने इस संबंध में 9 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. बाबा साहब का निधन अलीपुर रोड में हुआ था और उस स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है और 100 करोड़ रुपये की लागत से भव्य स्मारक बनाया जा रहा है. बाबा साहब का अंतिम संस्कार जहां हुआ था, उसे चैत्य भूमि घोषित किया गया है.महाराष्ट्र सरकार ने इंदु मिल की जमीन का अधिग्रहण किया है और 300 करोड़ रुपये की लागत से इसका विकास किया जाएगा.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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