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This Article is From Mar 23, 2023

SGPC पर थी अमृतपाल सिंह की नजर, वोटबैंक बनाने का कर रहा था प्रयास :सरकारी सूत्र

अधिकारियों ने कहा कि अब तक की जांच से यह भी पता चला है कि अमृतपाल सिंह धर्म के प्रचार के नाम पर अपनी हिंसक कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए लोगों को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा था.

SGPC पर थी अमृतपाल सिंह की नजर, वोटबैंक बनाने का कर रहा था प्रयास :सरकारी सूत्र
नई दिल्ली:

अलगाववादी अमृतपाल सिंह अब भी फरार है. इधर सरकारी सूत्रों ने दावा किया है कि 'वारिश पंजाब दे' नामक संगठन के प्रमुख अमृतपाल की नजर सिखों की सबसे बड़ी संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) पर कब्जा करने की थी. साथ ही वो बपतिस्मा के नाम पर अपना एक वोट बैंक बनाने में लगा था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ''अमृतपाल सिख इतिहास की अपनी व्याख्या को विश्वसनीयता देने के लिए एसजीपीसी पर कब्जा करना चाहता था. गौरतलब है कि एसजीपीसी को सिखों की मिनी संसद है कहा जाता है."

अधिकारियों ने कहा कि अब तक की जांच से यह भी पता चला है कि अमृतपाल सिंह धर्म के प्रचार के नाम पर अपनी हिंसक कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए लोगों को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा था.  गृह मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गुरुद्वारे जैसे पवित्र स्थानों की पवित्रता को ध्यान में न रखते हुए, अमृतपाल सिंह के गुंडों ने उसके निर्देश पर दो गुरुद्वारों - कपूरथला और जालंधर में तोड़फोड़ की थी.पूरे मामले में दिलचस्प बात यह है कि एसजीपीसी ने सोमवार को पंजाब सरकार से "निर्दोष" सिख युवकों को गिरफ्तार करने से रोकने के लिए कहा है.शीर्ष गुरुद्वारा निकाय ने पिछले कुछ दिनों से राज्य में सिख युवकों के खिलाफ पुलिस द्वारा की जा रही "ज्यादतियों" की भी कड़ी निंदा की है.

बताते चलें कि पंजाब पुलिस ने अब तक उसके नेतृत्व वाले संगठन 'वारिस पंजाब दे' के सदस्यों सहित 120 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मुद्दे पर चौतरफा आलोचना झेल रही सरकार ने गुरुवार को अमृतपाल सिंह के सहयोगियों पर एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980) के तहत मामला दर्ज करने को सही ठहराया है. 

गौरतलब है कि अब तक अमृतपाल के सात सहयोगियों पर NSA लगाया जा चुका है, इसमें गुरमीत सिंह बुक्‍कनवाला, बसंत सिंह, भगवंत सिंह, दलजीत सिंह कलसी, हरजीत सिंह  के अलावा कुलवंत सिंह और गुर औजला शामिल हैं. अधिकारियों के अनुसार प्रतिबंधित संगठन एसएफजे (सिख्स फॉर जस्टिस) जो अब डब्ल्यूपीडी के खुले समर्थन में आ गया है, चिंता का एक प्रमुख कारण है. शिर्ष स्तर पर यह निर्णय लिया गया कि इस मामले में गिरफ्तार अभियुक्तों को सुरक्षा कारणों से पंजाब से बाहर भेज दिया जाएगा.  उन्होंने कहा, "ऐसी खबरें थीं जो जेल में बंद अन्य अपराधियों को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आनंदपुर खालसा फौज / AKF में जोड़ने की भी तैयारी चल रही थी.

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