प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय (पीएमओ) के राज्यमंत्री की ओर से जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के गुण दोषों पर चर्चा के संबंध में विवादास्पद बयान दिए जाने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और मुख्य विपक्षी पीडीपी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
उधर सरकार ने पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के बयान से उठे विवाद को कमतर करने का प्रयास किया और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, 'हम इस पर विचार करेंगे। आपने देखा था कि हमने चुनाव प्रचार के दौरान क्या कहा था। सरकार इस पर नियम कायदों के अनुरूप विचार करेगी।'
वहीं पहली बार जम्मू कश्मीर के उधमपुर से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार जम्मू कश्मीर के लिहाज से अनुच्छेद 370 के गुण दोषों पर चर्चा के लिए तैयार है और राज्य में समाज के हर वर्ग के साथ संपर्क करके उन लोगों को समझाने के प्रयास किये जाएंगे जो 'असहमत' हैं।
57 वर्षीय सिंह को प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री बनाये जाने के मोदी के फैसले से कई लोगों को हैरानी हुई है। सिंह ने कहा कि भाजपा बहुत पेशेवर तरीके से इस मुद्दे पर काम कर रही है और कश्मीर घाटी में बैठकें बुला रही है।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के राज्यमंत्री के तौर पर कामकाज संभालने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'हम कुछ लोगों को इस बारे में समझाने में कामयाब रहे हैं।' हालांकि सिंह के बयान पर उमर ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि अनुच्छेद 370 राज्य और शेष देश के बीच 'एकमात्र संवैधानिक कड़ी' है।
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट पर कहा है कि जम्मू कश्मीर और शेष भारत के बीच एकमात्र संपर्क धारा 370 है और इसे हटाने की बात करना न सिर्फ कम जानकारी का परिचायक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है। अब्दुल्ला ने कहा, 'पीएमओ में नए राज्य मंत्री कहते हैं कि धारा 370 को हटाने की प्रक्रिया/विचार-विमर्श शुरू हो गया है। वाह! बहुत तेज शुरुआत है। पता नहीं कौन बात कर रहा है।'
अब्दुल्ला ने अपने ट्वीट में यहां तक कहा कि धारा 370 को हटाने का असर कश्मीर के भारत से अलग हो जाने तक भी हो सकता है। उन्होंने कहा, 'मेरे इस ट्वीट को सेव कर लीजिए। मोदी सरकार जब एक भूली-बिसरी याद बन चुकी होगी, तब या तो धारा 370 मौजूद रहेगी या जम्मू कश्मीर भारत का अंग नहीं रहेगा।'
गौरतलब है कि पहली बार सांसद बने 57 वर्षीय सिंह ने साफ किया कि बीजेपी अनुच्छेद 370 को हटाने के पक्ष में है, जो जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देता है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी लोगों को समझाना चाहती है और इस मुद्दे के दीर्घकालिक समाधान के लिए लोकतांत्रिक तरीका अपनाएगी।
सिंह ने कहा कि प्रदेश बीजेपी अनेक पक्षों से बात कर रही है। उन्होंने कहा, 'हमने कश्मीर घाटी में बैठकें बुलाई हैं और हमने उनमें से कुछ को मनाने में सफलता हासिल की है।' पहली बार सांसद बने सिंह को प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री बनाए जाने के मोदी के फैसले से कई लोगों को हैरानी हुई है।
सिंह ने कहा कि मोदी ने पिछले साल राज्य में एक रैली में धारा 370 पर चर्चा का मुद्दा उठाया था और इसके गुण दोषों पर राज्य भर में सेमिनार आयोजित करने का सुझाव दिया था।
सिंह ने मोदी की उस बात को आगे बढ़ाते हुए आज कहा, 'उनकी (मोदी की) और सरकार की इच्छा है कि हम इस पर चर्चा करें जिससे कि हम धारा 370 से हो रहे नुकसान के बारे में असहमत लोगों को समझा सकें।'
उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आज कहा कि राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के बारे में चर्चा करना गैरजिम्मेदाराना और आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर है।
उमर ने ट्वीट किया, 'पीएमओ के नए राज्यमंत्री कह रहे हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया या बातचीत शुरू हो गई है। वाह, कितनी तेज शुरुआत है। पता नहीं कि इस मुद्दे पर कौन-कौन बात कर रहा है।'
वहीं पीडीपी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के संबंध में सिंह का बयान गंभीर नुकसान पहुंचाए, उससे पहले प्रधानमंत्री और भाजपा नेताओं को सिंह पर लगाम कसनी चाहिए।
इस मामले में विवाद उठने के बाद मंत्री सिंह ने आज रात में बयान जारी कर कहा कि खबरों में उनकी बात को गलत तरह से पेश किया गया है।
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, 'मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि अनुच्छेद 370 पर मेरे बयान को मीडिया में आई खबरों में गलत तरह से पेश किया गया है। मैंने माननीय प्रधानमंत्री का हवाला देते हुए कभी कुछ नहीं कहा। विवाद पूरी तरह निराधार है।'
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