प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार के अनुसार डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट बाहरी वजहों से आया है. आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के लिये ‘बाहरी कारणों’ को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि जबतक अन्य मुद्राओं के अनुरूप घरेलू रुपये में गिरावट होती है, इसमें चिंता की कोई बात नहीं है. यहां तक रुपया 80 रुपये प्रति डालर तक चला जाता है और अगर दूसरी मुद्राओं में भी गिरावट इसी स्तर पर रहती है तो भी कोई गंभीर चीज नहीं है. तुर्की की आर्थिक चिंता से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये मंगलवार को कारोबार के दौरान 70.09 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक गिर गया. हालांकि बाद में इसमें सुधार आया और अंत में सोमवार के मुकाबले सुधरकर 69.89 पर बंद हुआ.
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गर्ग ने कहा कि रुपये में गिरावट का कारण बाहरी कारक हैं.इस समय इसको लेकर चिंता की कोई वजह नहीं है. उन्होंने कहा कि आगे चलकर यह कारक कमजोर पड़ सकते हैं. अगर रुपया 80 रुपये प्रति डालर तक चला जाता है और अगर दूसरी मुद्राओं में भी गिरावट इसी स्तर पर रहती है तो चिंता का कोई कारण नहीं होगा. हालांकि, इसके बाद गर्ग ने ट्वीट करके स्पष्ट किया कि रुपये में हाल में आई गिरावट के बारे में मेरे हवाले से एक वक्तव्य शरारतपूर्ण तरीके से जारी किया गया. मैं इस काल्पनिक वक्तव्य से सहमत नहीं हूं कि डालर के मुकाबले रुपया 80 तक गिर सकता है. मैंने रुपये में आई गिरावट की वजह केवल बाहरी कारकों को बताया और कहा है कि हमें इसमें स्थिरता आने तक प्रतीक्षा करनी चाहिये.
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गर्ग ने कहा कि भारतीय रुपया अभी भी कुछ अन्य मुद्राओं की तुलना में बेहतर स्थिति में है. उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है, लेकिन उसका मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कारगर नहीं होगा क्योंकि रुपये में गिरावट का कारण वैश्विक हैं. गौरतलब है कि तीन अगस्त को समाप्त सप्ताह में केंद्रीय बैंक के पास 402.70 अरब डालर का मुद्रा भंडार था. यह पिछले सप्ताह से 1.49 अरब डालर कम है.
VIDEO: रुपये की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट पर उठे सवाल.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि डालर की तुलना में सभी मुद्राएं कमजोर हुई हैं लेकिन अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये में उतनी गिरावट नहीं आयी है. कुमार ने कहा कि मुझे लगता है कि रुपया 69 से 70 के बीच स्थिर होना चाहिए क्योंकि अगर आप देश में बांड और शेयर समेत विभिन्न क्षेत्रों में आने वाले निवेश को देखें तो यह स्तर विदेशी निवेश के लिहाज से आकर्षक रहा है. वहीं आईसीआईसीआई बैंक के बी प्रसन्ना ने कहा कि तुर्की संकट का सभी उभरते बाजारों पर प्रभाव पड़ा है और रुपये पर भी उसका असर है. (इनपुट भाषा से)
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गर्ग ने कहा कि रुपये में गिरावट का कारण बाहरी कारक हैं.इस समय इसको लेकर चिंता की कोई वजह नहीं है. उन्होंने कहा कि आगे चलकर यह कारक कमजोर पड़ सकते हैं. अगर रुपया 80 रुपये प्रति डालर तक चला जाता है और अगर दूसरी मुद्राओं में भी गिरावट इसी स्तर पर रहती है तो चिंता का कोई कारण नहीं होगा. हालांकि, इसके बाद गर्ग ने ट्वीट करके स्पष्ट किया कि रुपये में हाल में आई गिरावट के बारे में मेरे हवाले से एक वक्तव्य शरारतपूर्ण तरीके से जारी किया गया. मैं इस काल्पनिक वक्तव्य से सहमत नहीं हूं कि डालर के मुकाबले रुपया 80 तक गिर सकता है. मैंने रुपये में आई गिरावट की वजह केवल बाहरी कारकों को बताया और कहा है कि हमें इसमें स्थिरता आने तक प्रतीक्षा करनी चाहिये.
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गर्ग ने कहा कि भारतीय रुपया अभी भी कुछ अन्य मुद्राओं की तुलना में बेहतर स्थिति में है. उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है, लेकिन उसका मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कारगर नहीं होगा क्योंकि रुपये में गिरावट का कारण वैश्विक हैं. गौरतलब है कि तीन अगस्त को समाप्त सप्ताह में केंद्रीय बैंक के पास 402.70 अरब डालर का मुद्रा भंडार था. यह पिछले सप्ताह से 1.49 अरब डालर कम है.
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भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि डालर की तुलना में सभी मुद्राएं कमजोर हुई हैं लेकिन अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये में उतनी गिरावट नहीं आयी है. कुमार ने कहा कि मुझे लगता है कि रुपया 69 से 70 के बीच स्थिर होना चाहिए क्योंकि अगर आप देश में बांड और शेयर समेत विभिन्न क्षेत्रों में आने वाले निवेश को देखें तो यह स्तर विदेशी निवेश के लिहाज से आकर्षक रहा है. वहीं आईसीआईसीआई बैंक के बी प्रसन्ना ने कहा कि तुर्की संकट का सभी उभरते बाजारों पर प्रभाव पड़ा है और रुपये पर भी उसका असर है. (इनपुट भाषा से)
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