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सरकार आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध: पीएम मोदी

पीएम विश्वकर्मा योजना के पीछे के विचार को समझाते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक जीवन बदलने वाली योजना है जो सभी कलाकारों और शिल्पकारों को आधुनिक उपकरण और प्रौद्योगिकी प्रदान करती है.

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सरकार आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकारी योजनाओं की जानकारी रखने के लिए छत्तीसगढ़ की एक आदिवासी महिला की सराहना करते हुए सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है.

प्रधानमंत्री वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा' के लाभार्थियों के साथ संवाद कर रहे थे. इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक और स्थानीय स्तर के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.

संवाद के दौरान छत्तीसगढ़ के कांकेर के एक किसान परिवार से संबंध रखने वाली महिला भूमिका भूआराया ने बताया कि वह अपने गांव में 29 वन धन समूहों में से एक में सचिव के रूप में काम करती हैं.

महिला ने बताया कि उन्होंने वन धन योजना, उज्ज्वला गैस कनेक्शन, जल जीवन, मनरेगा कार्ड, राशन कार्ड और पीएम किसान सम्मान निधि सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया है.

विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में भूमिका की जागरूकता से प्रभावित प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अनुभवों से सरकार को लोगों के लिए काम करने में काफी हद तक मजबूती मिलती है. उन्होंने समय पर राशन की उपलब्धता के बारे में भी भूआराया से जानकारी ली.

उत्‍सुक होकर प्रधानमंत्री ने उनसे सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी के उनके स्रोत के बारे में पूछा तो उन्‍होंने बताया कि उनका परिवार और माता-पिता ही इसके स्रोत हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने गांव के अन्य निवासियों से बच्चों की शिक्षा में निवेश करने का आग्रह किया.

भूआराया ने प्रधानमंत्री को अपने स्वयं सहायता वन धन समूह के बारे में भी जानकारी दी, जहां महुआ लड्डू और आंवले के अचार का उत्पादन होता है. उन्होंने बताया कि वह महुआ लड्डू को 700 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचती हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि लाभार्थियों को सभी लाभ बिना किसी परेशानी के उपलब्ध कराए गए हैं. आमतौर पर नशे के लिए उपयोग किए जाने वाले महुआ के उचित उपयोग करने के लिए प्रधानमंत्री ने उनके प्रयासों की सराहना की.

पीएम मोदी ने वन धन केंद्रों के सकारात्मक परिणामों का श्रेय भूआराया को देते हुए कहा, ‘‘सरकार आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है.''

उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर शुरू की गई पीएम जन मन योजना के बारे में भी बात की और कहा कि यह जनजातीय समुदाय के लिए बहुत मददगार होने जा रही है.

पीएम मोदी ने आंध्र प्रदेश के नंदयाला के सईद ख्वाजा मुइहुद्दीन के साथ भी बातचीत की, जो 102 साल पुराने एक सहकारी समूह के सदस्य हैं. मुइहुद्दीन ने प्रधानमंत्री को बताया कि वर्तमान सरकार की पहल के बाद ही, नाबार्ड ने समूह को कृषि बुनियादी ढांचा योजना के तहत भंडारण के लिए तीन करोड़ रुपये के ऋण की पेशकश की.

उन्होंने कहा कि इससे समूह पांच गोदाम बनाने में सक्षम हुआ. प्रधानमंत्री ने 100 से अधिक वर्षों तक एक समूह चलाने के लिए स्थानीय किसानों की भावना को सलाम किया.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं देश के किसानों से आग्रह करता हूं कि वे यूरिया और नैनो यूरिया दोनों का उपयोग न करें, जहां भी उपलब्ध हो, नैनो का ही उपयोग करें.”

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, ‘‘जब सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास' की भावना के साथ काम करती है तो योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचता है. इसके बाद भी यदि कोई छूट जाता है तो 'मोदी की गारंटी की गाड़ी' उस तक लाभ पहुंचा देगी.''

उन्होंने कहा कि सरकार कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है और दो लाख भंडारण इकाइयां बनाने की योजना है. कार्यक्रम के दौरान पंजाब के गुरदासपुर के गुरविंदर सिंह बाजवा ने प्रधानमंत्री को बताया कि विकसित भारत संकल्प यात्रा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि कृषि क्षेत्र में सर्वोत्तम संभवित लाभ पाने के लिए किसान छोटे समूहों में संगठित हो गए हैं.

उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि उनका किसानों का समूह हर प्रकार के दुष्प्रभाव से मुक्त खेती पर काम कर रहा है और इसके लिए उन्हें मशीनरी पर सब्सिडी भी मिली है.

उन्होंने बताया, ‘‘इससे छोटे किसानों को पराली प्रबंधन और मिट्टी के स्वास्थ्य में भी मदद मिली.'' बाजवा ने प्रधानमंत्री को बताया कि ‘मोदी है तो मुमकिन है' और इसी वजह से लोगों में बहुत उम्मीदें भी जगी हैं.

प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि यह इसलिए संभव होता है क्योंकि किसान उनके अनुरोध को सुनते हैं. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लक्ष्मी प्रजापति ने प्रधानमंत्री को अपने लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के बारे में बताया जिसमें 12 सदस्य और लगभग 75 सहयोगी शामिल हैं और इनकी सामूहिक वार्षिक आय लगभग 1 करोड़ रुपये है. प्रजापति का परिवार टेराकोटा रेशम के व्यवसाय से जुड़ा है.

पीएम विश्वकर्मा योजना के पीछे के विचार को समझाते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक जीवन बदलने वाली योजना है जो सभी कलाकारों और शिल्पकारों को आधुनिक उपकरण और प्रौद्योगिकी प्रदान करती है.

आइजोल में जैविक खेती करने वाले किसान शुय्या राल्टे ने प्रधानमंत्री को अदरक, मिजो मिर्च और अन्य सब्जियों के उत्पादन और उन्हें दिल्ली स्थित कंपनियों को अपनी उपज बेचने का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि इससे उनकी आय 20,000 रुपये से बढ़कर 1,50,000 रुपये हो गई.

पिछले साल 15 नवंबर को विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत के बाद से ही मोदी ने नियमित रूप से पूरे देश में लाभार्थियों के साथ संवाद किया है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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