जम्मू कश्मीर में इस साल पर्यटकों का काफी आना-जाना रहा. कोरोना काल के कारण काफी समय तक घर में बंद रहने के कारण बोर हो रहे लोग महामारी से थोड़ी राहत मिलते ही सैर-सपाटे पर निकल पड़े. नतीजतन जम्मू-कश्मीर में इस साल बीते 75 सालों की तुलना सबसे अधिक पर्यटक पहुंचे. इस बात की जानकारी केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दी है. माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर पोस्ट कर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कश्मीर की रौनक लौट आई है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, " कश्मीर जीवंत हो उठा है. जम्मू-कश्मीर में जनवरी 2022 से 1.62 करोड़ पर्यटकों की रिकॉर्ड संख्या देखी गई, जो स्वतंत्रता के 75 वर्षों में सबसे अधिक है. जम्मू-कश्मीर के उत्थान के लिए मोदी सरकार की परिवर्तनकारी पहलों और सुधारों ने राज्य में पर्यटन को एक बड़ा बल दिया है."
Kashmir coming alive! 🍁
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) October 6, 2022
J&K witnessed record footfall of 1.62 Crore tourists since January 2022, the highest in 75 years of Independence.
Modi Govt's transformative initiatives & reforms to uplift J&K have given a major thrust to tourism in the state. pic.twitter.com/5rUFgyxOHe
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में इस साल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. ऐसे में राष्ट्रीय पार्टियों के साथ-साथ स्थानीय पार्टियों ने अपने-अपने तरीके से दावेदारी पेश करना शुरू कर दिया है. हाल ही में गृह मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह ने कश्मीर का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने जनसभाओं को संबोधित किया. वहीं, कई मुद्दों पर विपक्ष को घेरने की कोशिश की. शाह को कश्मीर में कुछ क्षेत्रीय नेताओं का भी साथ मिला.
इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने गुरुवार को आतंकवादियों से अपील की कि वह लोगों को मारने और खुद मरने की बजाय कश्मीर के विकास में सहयोग करें. उन्होंने कहा कि कश्मीर का पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं था और पूरा पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का एक दिन हिस्सा होगा. उन्होंने कहा कि कश्मीर एक सुंदर जगह है और श्रीनगर एक सुंदर शहर है. इसलिए सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है, ताकि यहां के लोगों को अधिक रोजगार और लाभ उपलब्ध कराये जा सकें.
आठवले ने कहा, ‘‘लेकिन इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए शांति की जरूरत है. यहां आतंकी घटनाएं हो रही हैं. मैं आतंकवादियों से अपील करता हूं कि वे ना तो दूसरों को मारें और ना ही अपनी जान दें. इसके बजाय वे कश्मीर के विकास में भाग लें.''
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