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कैसे जुड़े होते हैं ट्रेन के कोच, चलते-चलते अलग होने पर क्यों लग जाते हैं खुद ही ब्रेक, समझिए

भारत में ट्रेन हादसे एक गंभीर समस्या हैं जो कई कारणों से होती हैं. ये हादसे न केवल जान-माल का नुकसान करते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और परिवहन व्यवस्था को भी प्रभावित करते हैं. सिग्नलिंग में गलती, ट्रेन चलाने में लापरवाही और रखरखाव कर्मचारियों की लापरवाही भी हादसों के लिए जिम्मेदार होती है.

कैसे जुड़े होते हैं ट्रेन के कोच, चलते-चलते अलग होने पर क्यों लग जाते हैं खुद ही ब्रेक, समझिए
बिजनौर में इंजन से अलग हो गयीं ट्रेन की कुछ बोगी
बिजनौर:

Bijnor Train Accident उत्‍तर प्रदेश के बिजनौर जिले में तब हड़कंप मच गया, जब धनबाद जा रही गंगा सतलुज एक्‍सप्रेस ट्रेन की कुछ बोगियां इंजन से अलग हो गईं और पीछे छूट गईं. इस तरह गंगा सतलुज एक्सप्रे दो हिस्सों मे बंट गई. गनीमत ये रही कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ. रेलवे के अधिकारियों ने इसे तकनीकी खराबी बताया है. बताया जा रहा है कि ट्रेन की एक कपलिंग अलग हो गई, जिससे कुछ बोगियां पीछे रह गईं और इंजन आगे निकल गया. ये कपलिंग ही है, जो पूरी ट्रेन को आपस में जोड़कर रखता है. आखिर, कपलिंग कैसे बोगियों को आपस में जोड़कर रखता है...? अगर कपलिंग में कोई खराबी आ जाए, तो कैसे अपने आप ट्रेन रुक जाती है, आइए आपको बताते हैं. 

कपलिंग में आई खराबी और बोगियां हो गई अलग

रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन को स्योहारा रेलवे स्टेशन पर रोका गया है. किसी भी यात्री के घायल होने की सूचना नहीं है. रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह घटना तब हुई जब दो स्लीपर बोगियों के बीच ‘कपलिंग' (बोगियों को एक-दूसरे से जोड़ने वाला उपकरण) अलग हो गई. कपलिंग को ठीक कर दिया गया और ट्रेन अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गई. इस बीच, स्थानीय पुलिस और रेलवे प्रशासन ने ट्रेन में यात्रा कर रहे उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी भर्ती परीक्षा के 200 से अधिक अभ्यर्थियों के लिए तीन बसों की व्यवस्था की. अभ्यर्थियों को उनके संबंधित परीक्षा केंद्रों पर भेजा गया.  गंगा सतलुज एक्सप्रेस पंजाब के फिरोजपुर और झारखंड के धनबाद के बीच चलती है.

क्‍या होता है कपलिंग?

ट्रेन के सभी कोच एक-दूसरे से कपलिंग के जरिए ही जुड़े होते हैं. अगर कपलिंग में कोई खराबी आती है, तो पूरी ट्रेन प्रभावित हो जाती है. वहीं, अगर कपलिंग टूट जाए, तो डिब्‍बे ट्रेन से हो जाते हैं, जैसा बिजनौर में गंगा सतलुज एक्‍सप्रेस के साथ देखने को मिला. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारतीय रेलवे अभी तक ब्रिटिश काल के रेल बफर और चेन कपलिंग इस्‍तेमाल कर रही है. यात्री ट्रेन में स्‍क्रू कपलिंग इस्‍तेमाल होता है. इसमें स्‍क्रू के जरिए कपलिंग ट्रेन की बोगी से जुड़ा रहता है. 

कुछ ऐसा होता है ट्रेन का ब्रेक सिस्‍टम

ट्रेन एक्‍सीडेंट होने पर या बोगियां अलग होने पर ब्रेक खुद-ब-खुद लग जाते हैं. दरअसल, ट्रेन को रोकने के लिए इसकी बोगियों में एयर ब्रेक लगाए जाते हैं, जिन्‍हें न्यूमैटिक ब्रेक भी कहते हैं. बोगियों में लगे सभी ब्रेक एक प्रेशर पाइप से जुड़े होते हैं. ये पाइप ट्रेन के ड्राइवर के ब्रेक हैंडल से जुड़ा रहता है. ड्राइवर जब ब्रेक लगाता है, तो ब्रेक पाइप सिर्फ 6 सेकेंड में ब्रेक लगा देते हैं. ऐसा इसलिए होता है, क्‍योंकि हादसे के वक्‍त ट्रेन जल्‍द से जल्‍द रुक जाए. 

क्‍यों होते हैं ट्रेन हादसे..?

भारत में ट्रेन हादसे एक गंभीर समस्या हैं जो कई कारणों से होती हैं. ये हादसे न केवल जान-माल का नुकसान करते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और परिवहन व्यवस्था को भी प्रभावित करते हैं. सिग्नलिंग में गलती, ट्रेन चलाने में लापरवाही और रखरखाव कर्मचारियों की लापरवाही भी हादसों के लिए जिम्मेदार होती है. ट्रेन हादसे रोकने के लिए पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है. सिग्नलिंग सिस्टम को आधुनिक बनाया जाना चाहिए और ट्रेन चालकों को बेहतर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. इस पर तेजी से काम हो रहा है. 

(भाषा इनपुट के साथ...)

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