10 दिवसीय गणपति महोत्सव के समापन के साथ ही आज महानगर मुंबई में भगवान गणेश और देवी गौरी की मूर्तियों का विसर्जन किया गया. कई स्थानों पर कृत्रिम जलाशयों/झीलों में गजाजन का विसर्जन किया गया. दो साल बाद इस बार कोविड संबंधी पाबंदियों के बिना गणेशोत्सव मनाया गया. नगर निकाय अधिकारियों ने बताया कि महानगर में विसर्जन यात्रा के दौरान कहीं से किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है. गणेशोत्सव की शुरुआत 31 अगस्त को हुई थी. राज्यभर में लोगों ने अपने घरों एवं पंडालों में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित कीं और धार्मिक हर्षोल्लास से गणेशोत्सव मनाया. इस बार गणेशोत्सव पर कोरोना वायरस महामारी की कोई छाया नहीं रही. पिछले दो सालों के दौरान महामारी के चलते लगायी गयी पाबंदियों की वजह से गणेशोत्सव का इतने खुले तौर पर आयोजन नहीं हो पाया था. अनंत चतुर्दशी के दिन इस उत्सव का समापन होता है जब भगवान गणेश की मूर्तियों को जुलूस के साथ ले जाकर जलाशयों में विसर्जित किया जाता है.
बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने बताया कि अपराह्न तीन बजे तक गणेश की करीब 2160 मूर्तियों का विसर्जन किया गया जिनमें 2104 घरों के अंदर पूजी गयी मूर्तियां, 42 सार्वजनिक मूर्तियां और 14 गौरी की मूर्तियां थीं. बीएमसी के अनुसार 634 मूर्तियां शहर में बनायी गयी कृत्रिम झीलों में विसर्जित की गई. अपने प्रिय देव गणपति को विदाई देने के लिए मुंबई की सड़कों पर भारी भीड़ उमड़ी थी. मध्य मुंबई में ‘लालबाग चा राजा' गणेश की मूर्ति की एक झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे थे. यहां यह सबसे बड़ा आयोजन होता है. इस मूर्ति का विसर्जन दक्षिण मुंबई के गिरगांव चौपाटी में अरब सागर में किया गया.
लालबाग, गिरगांव, परेल, अंधेरी, चेम्बूर और अन्य स्थानों से भी अन्य सार्वजनिक गणपति मूर्तियां विसर्जन के लिए ले जायी गयीं. गिरगांव चौपाटी के अलावा, शिवाजी पार्क, बांद्रा, जुहू और मलाड में भी गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया गया. पुलिस ने विसर्जन यात्रा पर कड़ी नजर रखने के लिए 3200 अधिकारियों समेत 20,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. राज्य रिजर्व पुलिस बल की आठ , त्वरित कार्यबल की एक कंपनी तथा 750 होमगार्ड जवानों एवं 250 प्रशिक्षुओं को इस काम में लगाया गया है. (भाषा से भी इनपुट)
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