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This Article is From Jul 12, 2017

अब देश में नहीं उड़ेंगे चीनी मांझे लगे पतंग, एनजीटी ने लगाई रोक

एनजीटी ने कहा है कि सभी राज्य व संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव तत्काल प्रभाव से खतरनाक नाइलॉन व सिंथेटिक मांझे के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएं.

अब देश में नहीं उड़ेंगे चीनी मांझे लगे पतंग, एनजीटी ने लगाई रोक
प्रतीकात्मक तस्वीर.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया
फैसले का उल्लंघन करने पर होगी उचित कानूनी कार्रवाई
आए दिन मांझों से घायल होने वाली की मिलती रहती हैं खबरें
नई दिल्ली: अब देश में खतरनाक चीनी मांझे का इस्तेमाल नहीं होगा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पूरे देश में इस पर प्रतिबंध लगा दिया है. एनजीटी ने कहा कि नाइलॉन या किसी भी सिंथेटिक मटेरियल से बना जो नष्ट न होने लायक हो उसके निर्माण, आयात, बिक्री और इस्तेमाल पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध होगा. इन खतरनाक मांझों की वजह से हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों से भयावह हादसे की खबरें आती रहती हैं. जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने 'पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल' (पेटा) के मामले में यह फैसला सुनाया है.

फैसले के उल्लंघन पर कार्रवाई होगी

एनजीटी ने कहा है कि सभी राज्य व संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव तत्काल प्रभाव से खतरनाक नाइलॉन व सिंथेटिक मांझे के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएं. पीठ ने कहा कि संबंधित राज्य सरकार, मुख्य सचिव, जिलाधिकारी इस फैसले को लागू कराने के लिए जिम्मेदार होंगे. अगर कोई फैसले का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

पीठ ने कहा कि चीनी मांझों की वजह से मनुष्यों के साथ-साथ पशु, पक्षियों के घायल होने की खबरें भी हमें आए दिन सुनने को मिलती हैं. इस तरह के हादसों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. इसलिए ट्रिब्यूनल को इस मामले में हस्तक्षेप की जरूरत पड़ी. पीठ ने कहा कि प्राधिकरण किसी भी प्रकार के सिंथेटिक युक्त या नाइलॉन मांझों का आयात न करें. पीठ ने कहा कि पतंग उड़ाना एक खेल और मनोरंजन की गतिविधि भी है, लेकिन पतंग में इस्तेमाल नाइलॉन युक्त खतरनाक मांझे लुप्तप्राय पक्षियों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहे हैं. इन मांझों से कटकर कई पक्षियों की मौत होती है. यह पर्यावरण की क्षति है.



 

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