सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कमेंट करने के मामले में लगाई जाने वाली IT एक्ट की धारा 66 A का भविष्य सुप्रीम कोर्ट तय करेगा। इस एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट अपना अहम फैसला सुनाएगा।
हालांकि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भी इस एक्ट पर कई बार सवाल उठाए थे, जबकि केंद्र सरकार ने एक्ट को बनाए रखने की वकालत की थी। केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि इस एक्ट का इस्तेमाल गंभीर मामलों में ही किया जाएगा। केंद्र सरकार ने कहा था कि सोशल मीडिया पर राजनीतिक मुद्दे पर बहस या किसी तरह के विरोध में कमेंट पर इस प्रावधान के तहत कारवाई नहीं की जा सकती।
2014 में केंद्र ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी कर कहा था कि ऐसे मामलों में बड़े पुलिस अफसरों की इजाजत के बिना कारवाई ना की जाए। श्रेया सिंघल नामक लॉ छात्रा ने 2013 में महाराष्ट्र में शिव सेना सुप्रीमो बाल ठाकरे पर सोशल मीडिया में पोस्ट करने के आरोप में दो छात्राओं को गिरफतार करने के मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसके बाद कुछ NGO ने भी इस एक्ट को गैरकानूनी बताते हुए खत्म करने की मांग की थी। इस मसले पर लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने 27 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कुछ दिन पहले यूपी में मंत्री आजम खान पर पोस्ट करने वाले छात्र को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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