पीएम मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
इस साल 26 मई को मोदी सरकार के चार साल पूरे हो जाएंगे और सरकार अगले लोक सभा चुनाव से पहले इसे सरकार की उपलब्धियों को देशभर में ले जाने के मौके की तरह मनाएगी. इसके लिए चार वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों की समिति ने विस्तृत खाका तैयार किया है. 48 साल बनाम 48 महीनों के नारे के साथ कांग्रेस और बीजेपी की सरकारों के बीच काम के अंतर को रेखांकित भी किया जाएगा. गांव-गांव बिजली के बाद अब घर-घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य, बुलेट ट्रेन के माध्यम से देश के विकास का खाका, उज्जवला योजना में अब पांच करोड़ घरों का नया लक्ष्य और हर दिन 50 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य जनता के सामने रखा जाएगा. सरकार पिछले चार साल में सृजित रोजगार का आंकड़ा भी देश को बताएगी.
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चौथी वर्षगांठ पर मोदी सरकार कई अलग-अलग प्रचार अभियान चलाएगी. यह राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर होगा. सभी मंत्रालय अपनी उपलब्धियों का ब्यौरा देश के सामने रखेंगे. सभी मंत्री अलग-अलग राज्यों में प्रेस कांफ्रेंस तथा जनसभाएं करेंगे. विज्ञापनों और प्रचार के लिए अलग अलग टैगलाइन और थीम तैयार किया है, जिसके माध्यम से सरकार की चार साल की उपलब्धियों को जनता तक ले जाया जाएगा.
‘48 साल बनाम 48 महीने'
सरकार को यह अहसास है कि अब जबकि लोकसभा चुनाव सिर पर हैं, 2014 में किए गए उसके वादे कितने खरे उतरे, यह सवाल सबके जहन में है. इसीलिए चार साल पूरे होने पर मोदी सरकार 48 साल बनाम 48 महीने का आक्रामक प्रचार करेगी. इसमें कांग्रेस और उसका शासन सरकार के निशाने पर रहेगा. इसमें मोदी सरकार के चार साल और कांग्रेस के 48 साल के कामकाज तथा उपलब्धियों की तुलना की जाएगी. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस का चेहरा जनता के सामने रखा जाएगा जबकि इस मोर्चे पर सरकार अपना दामन साफ रखने पर अपनी पीठ भी थपथपाएगी. कांग्रेस पर विकास की रफ्तार धीमी रखने का आरोप लगाया जाएगा जबकि आंकड़ों के सहारे यह साबित करने की कोशिश होगी कि किस तरह से पिछले चार साल में देश ने विकास के नए आयामों को छुआ है.
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उज्जवला योजना
मोदी सरकार की उज्जवला योजना ने बीजेपी को कई राज्यों में चुनावी सफलता दिलाई है और अब सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इसको भुनाना चाहती है. सरकार गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन देकर महिलाओं को धुंए और बीमारी से बचाने की दिशा में मील का पत्थर बताती है. इसलिए सरकार पेट्रोलियम मंत्रालय की एचीवमेंट्स को 'चार करोड़ गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन, 5 करोड़ गरीब परिवारों तक गैस पहुंचाना बाकी है' के टैगलाईन से बेहतर भविष्य का सपना दिखाएगी.
बुलेट ट्रेन
बुलेट ट्रेन को रेल मंत्रालय की सबसे बड़ी कामयाबी के तौर पर पेश किया जाएगा. सरकार अपने प्रचार अभियान में बुलेट ट्रेन को विकास की तेज रफ्तार की तरह बताएगी. बुलेट ट्रेन को 'तेज गति ,तेज प्रगति और तेज टेक्नॉलॉजी के माध्यम से तेज परिणाम लाने वाला साबित किया जाएगा. बुलेट ट्रेन को सुविधा, सुरक्षा के साथ ही रोजगार और रफ्तार लाने वाला प्रोजेक्ट बताया जाएगा.
'रास्ता सही है, मंजिल बाकी है'
सरकार इस थीम के जरिए अपने सभी मंत्रालयों की उपलब्धियों को जनता को बताएगी कि उनके कार्यकाल में कैसे गरीब कल्याण योजनाओं का फायदा देश की आम जनता तक पहुंचाया है. सरकार ये बताने की कोशिश करेगी कि आमजनता के हित में लिए जा रहे फैसलों का रास्ता सही दिशा में जा रहा है, और मंजिल भी नजदीक है.
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'बिजली गांव गांव तक पहुंचाई है, घर घर पहुंचाना बाकी है'
मोदी सरकार ने उन 18000 गांवों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य पूरा किया है जहां 2014 तक बिजली नहीं पहुंची थी। इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर जनता के सामने रखा जाएगा. सरकार अब गांवों से हर घर तक बिजली पहुंचाने के मिशन में लगी है. इस नारे के जरिए सरकार ऊर्जा मंत्रालय की उपलब्धियों की फेहरिस्त जनता के सामने रखेगी.
‘50 किलोमीटर सड़क रोज़’
देश भर में सड़क बनाने के काम में आई तेज़ी को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित किया जाएगा. सड़क परिवहन मंत्रालय ' प्रतिदिन 27 किमी सड़क बन रही है, इसको 50 किमी तक पहुंचाना है’ का लक्ष्य देश सामने रखेगा. मंत्रालय अपने कामकाज का हिसाब भी जनता के सामने रखेगा.
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चार साल के वर्षगांठ के कार्यक्रमों की रुपरेखा तय करने और पार्टी से समन्वय के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने चार मंत्रियों की एक समिति बनाई है. इसमें नीतिन गडकरी, स्मृति ईरानी, पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान हैं. कई बैठकों के बाद इन मंत्रियों ने चार साल के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया है.
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‘48 साल बनाम 48 महीने'
सरकार को यह अहसास है कि अब जबकि लोकसभा चुनाव सिर पर हैं, 2014 में किए गए उसके वादे कितने खरे उतरे, यह सवाल सबके जहन में है. इसीलिए चार साल पूरे होने पर मोदी सरकार 48 साल बनाम 48 महीने का आक्रामक प्रचार करेगी. इसमें कांग्रेस और उसका शासन सरकार के निशाने पर रहेगा. इसमें मोदी सरकार के चार साल और कांग्रेस के 48 साल के कामकाज तथा उपलब्धियों की तुलना की जाएगी. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस का चेहरा जनता के सामने रखा जाएगा जबकि इस मोर्चे पर सरकार अपना दामन साफ रखने पर अपनी पीठ भी थपथपाएगी. कांग्रेस पर विकास की रफ्तार धीमी रखने का आरोप लगाया जाएगा जबकि आंकड़ों के सहारे यह साबित करने की कोशिश होगी कि किस तरह से पिछले चार साल में देश ने विकास के नए आयामों को छुआ है.
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उज्जवला योजना
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बुलेट ट्रेन
बुलेट ट्रेन को रेल मंत्रालय की सबसे बड़ी कामयाबी के तौर पर पेश किया जाएगा. सरकार अपने प्रचार अभियान में बुलेट ट्रेन को विकास की तेज रफ्तार की तरह बताएगी. बुलेट ट्रेन को 'तेज गति ,तेज प्रगति और तेज टेक्नॉलॉजी के माध्यम से तेज परिणाम लाने वाला साबित किया जाएगा. बुलेट ट्रेन को सुविधा, सुरक्षा के साथ ही रोजगार और रफ्तार लाने वाला प्रोजेक्ट बताया जाएगा.
'रास्ता सही है, मंजिल बाकी है'
सरकार इस थीम के जरिए अपने सभी मंत्रालयों की उपलब्धियों को जनता को बताएगी कि उनके कार्यकाल में कैसे गरीब कल्याण योजनाओं का फायदा देश की आम जनता तक पहुंचाया है. सरकार ये बताने की कोशिश करेगी कि आमजनता के हित में लिए जा रहे फैसलों का रास्ता सही दिशा में जा रहा है, और मंजिल भी नजदीक है.
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‘50 किलोमीटर सड़क रोज़’
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