गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे को लेकर पुलिस ने नगर पालिका के मुख्य अधिकारी से बुधवार को पूछताछ की. चार घंटे लंबी चली इस पूछताछ में पुलिस ने पुल की मरम्मत को लेकर ओरेवा कंपनी को दिए ठेके पर सवाल जवाब किए. साथ ही ये भी जानने की कोशिश की कि आखिर इस कंपनी को ठेका किन नियमों के तहत दिया गय था. मोरबी हादसे में अभी तक 135 लोगों की मौत की खबर है. इस हादसे में 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं.
मोरबी नगर पालिका अधिकारी संदीप सिंह झाला से पुलिस ने ओरेवा कंपनी को मिले ठेके और मरम्मत के दौरान इस्तेमाल की गई सामग्री को लेकर भी पूछताछ की. खास बात ये है कि इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय अदालत में जो दस्तावेज पेश किए गए हैं, उनके अनुसार जिस कंपनी को इस पुल की मरम्मत का काम दिया गया, उसे इसका ज्यादा तजुर्बा नहीं था. लिहाजा उन्होंने मुख्य रूप से सिर्फ ब्रिज पर लगे केबल की रंगाई पुताई का ही काम किया.
पुलिस ने झाला से पूछा कि जब ओरेवा कंपनी से पुल की मरम्मत को लेकर समझौता हो रहा था, उस दौरान क्या संबंधित कंपनी ने इस बात पर जोर दिया था कि पुरानी ब्रिज पर एक साथ आखिर कितने लोगों के ही जाने की अनुमति होनी चाहिए. पुलिस जांच पता चला है कि ओरेवा कंपनी को टेंडर जारी करते समय प्रक्रिया की अनदेखी की गई.
बता दें कि गुजरात पुल हादसे के आरोपियों में से एक ने कोर्ट को बताया 'भगवान की इच्छा' की वजह से यह घटना हुई है. यह टिप्पणी 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए जिम्मेदार Oreva कंपनी के मैनेजर दीपक पारेख ने की है. वह रविवार को पुल दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में से एक हैं. इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई.
बड़ी खबर : मोरबी हादसे के लिए आखिर कौन जिम्मेदार?
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