मथुरा: मथुरा जनपद की एक अदालत ने पुलिस हिरासत में एक आरोपी की मौत के तकरीबन 24 वर्ष पुराने मामले में एक तत्कालीन थानाध्यक्ष को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनायी है और उसपर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (चतुर्थ) ने इसी मामले में चार अन्य आरोपी पुलिस अधिकारियों को उनके विरुद्ध समुचित प्रमाण न मिलने पर दोषमुक्त कर दिया. सजा सुनाने के बाद सोमवार को न्यायालय में उपस्थित पूर्व थानाध्यक्ष सुनील कुमार शर्मा को सीधे जेल भेज दिया गया.
वह इसी मामले में जमानत मिलने से पूर्व तीन वर्ष का कारावास भुगत चुके हैं. यह अवधि उनकी सजा में समायोजित कर ली जाएगी. यह जानकारी अपर जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता (चतुर्थ) हेमेंद्र कुमार भारद्वाज ने दी है.
उन्होंने बताया कि यह मामला नरहौली (जो अब हाईवे के नाम से जाना जाता है) थाना क्षेत्र में आगरा-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर नवादा गांव में सेंट फ्रांसिस स्कूल में सात जून 2000 को पड़ी डकैती से संबंधित है. इस वारदात के दौरान डकैतों ने विरोध करने पर स्कूल के प्रधानाचार्य ब्रदर जॉर्ज क्रूजी की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी.
अपर जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता (चतुर्थ) के अनुसार इस वारदात के बाद ईसाई संगठनों एवं संस्थाओं में भारी रोष फैल गया था . तब नरहौली थाने के तत्कालीन प्रभारी सुनील कुमार शर्मा ने स्कूल के रसोइए विजय इक्का को शक के आधार पर पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया था. लेकिन इस बीच वरिष्ठ अधिकारियों ने पुलिस के खिलाफ ईसाई संगठनों के बढ़ते रोष को देखते हुए सुनील कुमार शर्मा को निलंबित कर थाने का प्रभार धर्मवीर सिंह को दे दिया था.
भारद्वाज ने बताया कि सुनील कुमार शर्मा निलंबित होने के बाद भी मामले में दखल देते हुए विजय इक्का को थाने से पुलिस लाइंस ले गए और वहां उससे पूछताछ की गई. उनके मुताबिक तभी 17 जून की सुबह विजय इक्का का शव बाथरूम में लटका मिला. इससे पुलिस के खिलाफ रोष और भी ज्यादा फैल गया. सेंट फ्रांसिस स्कूल से जुड़े लोगों ने तत्कालीन थानाध्यक्ष सुनील कुमार शर्मा को ही विजय इक्का की मौत का दोषी माना.
उन्होंने बताया कि प्रधानाचार्य फादर अलफॉन्स ने सुनील कुमार शर्मा के साथ-साथ उप निरीक्षक जमील मोहम्मद रावत, हेड कांस्टेबल राधेश्याम सिंह, कांस्टेबल दिनेश उपाध्याय एवं कांस्टेबल क्लर्क रामानंद यादव के खिलाफ सदर थाने में मुकदमा दर्ज कराया.
पहले इस मामले की भी विवेचना पुलिस के स्तर पर हुई. लेकिन बाद में, इस मामले को उत्तर प्रदेश के आपराधिक अनुसंधान विभाग-अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया.
भारद्वाज ने बताया कि सीबी-सीआईडी ने थानाध्यक्ष सुनील कुमार शर्मा, उप निरीक्षक जमील मोहम्मद रावत, हेड कांस्टेबल राधेश्याम सिंह, कांस्टेबल दिनेश उपाध्याय, कांस्टेबल क्लर्क रामानंद यादव, थानाध्यक्ष धर्मवीर सिंह, अजय कुमार अग्रवाल, नेत्रपाल दीक्षित, विजय सिंह, सुरेंद्र सिंह एवं पुलिस क्षेत्राधिकारी शील कुमार सिंह के खिलाफ अलग-अलग तिथियों में आरोप पत्र दाखिल किया.
शर्मा के बाद थाने के प्रभारी रहे धर्मवीर सिंह की मृत्यु हो चुकी है. इसके अलावा अजय कुमार अग्रवाल, नेत्रपाल दीक्षित, विजय सिंह, सुरेंद्र सिंह एवं क्षेत्राधिकारी शील कुमार सिंह की अनुपस्थिति के चलते न्यायाधीश ने उन सभी की पत्रावली को अलग कर दिया तथा सुनील कुमार शर्मा, राधेश्याम सिंह, जमील मोहम्मद रावत, दिनेश उपाध्याय, रामानंद यादव की पत्रावली पर सुनवाई की.
न्यायाधीश ने साक्ष्यों एवं गवाही के आधार पर सुनील कुमार शर्मा को गैर इरादतन हत्या का दोषी मानते हुए 10 साल की कैद की सजा सुनायी और उनपर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया. उनके साथ के चार अन्य लोगों को उनके विरुद्ध साक्ष्य न पाए जाने पर दोषमुक्त करार दिया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं