पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने रविवार को कहा कि नए परमाणु प्रसार जोखिमों और चुनौतियों से ‘बिना इरादे के ही तनाव बढ़ सकता है' और परमाणु हमले की ‘आशंका' बढ़ सकती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक ‘अनिच्छुक' परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र है और उसने परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिंह ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) की किताब ‘न्यूक्लियर ऑर्डर इन दि ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी' के विमोचन अवसर पर बोल रहे थे. पूर्व राजनयिक राकेश सूद ने यह किताब लिखी है.
उन्होंने कहा कि कुछ पुराने हथियार नियंत्रण समझौतों को इतिहास बनाने की कोशिशों से मौजूदा परमाणु वैश्विक व्यवस्था पर तनाव बढ़ रहा है. पिछले 70 सालों में परमाणु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के परिपक्व होने का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि अब उन तक पहुंच और उन्हें हासिल करना आसान है, जिसके कारण नए प्रसार जोखिम एवं नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं. उन्होंने कहा कि कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), अंतरिक्ष में बढ़ती पहुंच और साइबर जगत की संवेदनशीलताओं के घटनाक्रमों ने ज्यादा अनिश्चितता को जन्म दिया है.
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पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कई नेता चिंतित हैं कि इससे पूर्व अनुमान नहीं लगा पाने की प्रवृति बढ़ेगी और निर्णय लेने की समय-सीमा में कमी आएगी. इससे बिना इरादे के ही तनाव बढ़ सकता है, परमाणु हमले की आशंका बढ़ सकती है और कुछ ऐसा हो सकता है जिसे 1945 के बाद से दुनिया ने नहीं देखा है.' साथ ही सिंह ने कहा कि बहुध्रुवीयता वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक वास्तविकता बन गई है, लेकिन राजनीतिक ढांचे अब भी जड़त्व की पुरानी पड़ चुकी सोच से उबर नहीं सके हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है.
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