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This Article is From Mar 05, 2024

DU के प्रोफेसर रहे जीएन साईबाबा बरी, उम्रकैद की सजा रद्द

मार्च 2017 में  महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की सत्र अदालत ने साईबाबा और पांच अन्य को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी ठहराया था.

DU के प्रोफेसर रहे जीएन साईबाबा बरी, उम्रकैद की सजा रद्द
साल 2014 में साईबाबा को गिरफ्तार किया गया था.
नागपुर:

बंबई उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा (GN Saibaba) को बरी कर दिया है. माओवादी संबंध मामले में उनकी उम्रकैद की सजा को बंबई उच्च न्यायालय ने आज रद्द किया है. न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मीकि एस.ए. मेनेजेस की खंडपीठ ने मामले में पांच अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया. पीठ ने कहा कि वह सभी आरोपियों को बरी कर रही है क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ संदेह से परे मामला साबित करने में विफल रहा.

 प्रोफेसर साईबाबा वर्तमान में नागपुर सेंट्रल जेल में हैं. उच्च न्यायालय ने 14 अक्टूबर, 2022 को विकलांग प्रोफेसर साईबाबा को बरी कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया था और मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय में भेज दिया था.

साल 2014 में हुई थी गिरफ्तारी

साल 2013 में महाराष्ट्र में गढ़चिरौली जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में निगरानी के बाद आरोपी महेश तिर्की, पी. नरोटे और हेम मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी. इसके बाद 2 सितंबर, 2013 को दो और आरोपी - विजय तिर्की और प्रशांत सांगलीकर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. 4 सितंबर, 2013 को पूछताछ के दौरान आरोपी मिश्रा और सांगलीकर द्वारा किए गए खुलासे के बाद पुलिस ने मजिस्ट्रेट अदालत से जीएन साईबाबा के घर की तलाशी के लिए वारंट का अनुरोध किया था. 9 सितंबर को पुलिस ने दिल्ली में साईबाबा के आवास की तलाशी ली थी. 

9 मई 2014 को साईबाबा को गिरफ्तार करके अदालत में पेश किया गया था, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.  21 फरवरी 2015 को सत्र अदालत ने सभी छह आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए. सभी आरोपियों ने अपना दोष स्वीकार नहीं किया था. 3 मार्च, 2017 को गढ़चिरौली की सत्र अदालत ने साईबाबा और पांच अन्य को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी ठहराया था.

साईबाबा और चार अन्य को आजीवन कारावास की सजा और एक को दस साल की कैद की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद 29 मार्च, 2017 को साईबाबा और अन्य ने दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में अपील दायर की थी. 

साल 2022 में बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने साईबाबा और पांच अन्य दोषियों को बरी कर दिया था. जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. 

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