विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का हिस्सा है और उम्मीद करते हैं कि एक दिन भारत के भौतिक अधिकार क्षेत्र में होगा. विदेश मंत्री ने इसके साथ ही यह भी कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे क्योंकि यह भारत का आंतरिक मामला है और अपने आंतरिक मामलों में भारत की स्थिति मजबूत रही है और मजबूत रहेगी. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत पड़ोस प्रथम की नीति को आगे बढ़ा रहा है. लेकिन उसके समक्ष एक पड़ोसी की अलग तरह की चुनौती है और यह तब तक चुनौती रहेगी जब तक वह सामान्य व्यवहार नहीं करता और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता. अपने 75 मिनट के संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने भारत के दूसरे देशों के साथ संबंध, अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंधों और चीन के साथ रिश्तों और वैश्विक मंच पर भारत की हैसियत समेत विभिन्न मुद्दों पर बात रखी. विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को साफ कर दिया कि मुद्दा अनुच्छेद 370 का नहीं है बल्कि मुद्दा सीमा पार आतंकवाद का है और किसी तरह की बातचीत के लिये वार्ता की मेज पर पहला विषय आतंकवाद का होगा.
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कुछ केंद्रीय मंत्रियों के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि अब वार्ता सिर्फ पीओके पर होगी, न कि कश्मीर पर तो उन्होंने कहा कि पीओके पर हमारा रुख रहा है और हमेशा रहेगा कि यह भारत का हिस्सा है और हम उम्मीद करते हैं कि एक दिन यह हमारे भौतिक अधिकार क्षेत्र में होगा. गौरतलब है कि सरकार का कहना रहा है कि पाकिस्तान से अब बातचीत पीओके पर होगी और कश्मीर पर नहीं होगी. ऐसा बयान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह आदि भी पहले दे चुके हैं. कुछ देशों एवं मानवाधिकार संगठनों की ओर से कश्मीर की स्थिति पर चिंता व्यक्त करने के बारे में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग समझते हैं कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का भारत का कारण क्या था.
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उन्होंने कहा कि यह अस्थायी प्रावधान था जिसका घटनाक्रमों के विश्लेषण में उपयोग नहीं होता है. यह प्रावधान वास्तव में निष्क्रिय हो गया है. इसका इस्तेमाल कुछ लोग अपने फायदे के लिये कर रहे थे. इससे विकास बाधित हो रहा था और अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा था. अलगाववाद का इस्तेमाल पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिये कर रहा था. जयशंकर ने कहा कि अनुच्छेद 370 द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है, यह हमारा आंतरिक मामला है. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है अंतरराष्ट्रीय समुदाय अनुच्छेद 370 पर हमारी स्थिति को समझता है. विदेश मंत्री ने कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे.
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उन्होंने जोर दिया कि आंतरिक मामलों पर भारत के रुख को माना गया है और माना जायेगा. जयशंकर ने कहा कि 1972 के बाद से भारत की स्थिति स्पष्ट है और इसमें कोई बदलाव नहीं आने वाला है. विदेश मंत्री से पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के प्रयास और कश्मीर में मानवाधिकारों के विषय को कुछ विदेशी नेताओं द्वारा उठाने के बारे में पूछा गया था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश अपनी छवि बनाते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अफगानिस्तान को लेकर की गई उस टिप्पणी को भी याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि यह सूचना प्रौद्योगिकी बनाम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का विषय है और किस प्रकार से दो आईटी के अलग-अलग मायने हैं. एक का संदर्भ भारत से है जो आईटी पेशेवरों के संबंध में है, जबकि दूसरा पाकिस्तान के संदर्भ में है. भारत से बातचीत करने का कोई मतलब नहीं होने संबंधी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की समस्या यह है कि वह आतंकवाद पर केवल बात करता है, करता कुछ नहीं है.
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उन्होंने कहा कि मुझे कोई एक ऐसा देश बतायें जिसका पड़ोसी देश उसके खिलाफ खुले तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा देता हो और उसके बाद वह उसके साथ बातचीत करता हो. जयशंकर ने यह भी कहा कि सीमा पार से होने वाले आतंकवाद, अनुच्छेद 370 को हटाये जाने जैसे मुद्दे पर भारत के पक्ष से वैश्विक जगत को अवगत कराया गया. उन्होंने कहा कि अपने आंतरिक मामलों में भारत की स्थिति मजबूत रही है और मजबूत रहेगी. विदेश मंत्री के तौर पर अपने पहले 100 दिन के काम के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि घरेलू और विदेशी नीति के बीच बहुत मजबूत संबंध है. हमारे राष्ट्रीय नीति लक्ष्यों और विदेश नीति के लक्ष्यों के बीच का संबंध मजबूत हो गया है.
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दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि सार्क के बारे में हमारा संदेश यह है कि समूह के भविष्य के लिये हमें कारोबार की जरूरत है जो विशेष दर्जे पर आधारित हो, सम्पर्क की जरूरत है और आतंकवाद मुक्त माहौल की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां आगे की दिशा में नहीं प्रगति नहीं हुई हो और दोनों देशों के संबंध काफी बेहतर स्थिति में हैं. दोनों देशों के बीच वाणिज्य को लेकर एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच कारोबार समस्या ‘सामान्य' है. उन्होंने कहा कि एक ही रास्ता है जब कारोबार समस्या नहीं होगी, जब हम कोई कारोबार नहीं करें. ऐसे में कारोबार समस्या दोनों देशों के बीच सामान्य बात है.
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