सीमा पर बढ़ती तनातनी के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीन के विदेश मंत्री वांग वी से मुलाकात कर सकते हैं. LAC पर तनाव को कम करने के इरादे से दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता होने की संभावना जताई जा रही है. बता दें कि एस जयशंकर इन दिनों मॉस्को में हैं, जहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत विदेश मंत्रियों की बैठक हो रही है. एस जयशकंर और वांग के बीच यह बातचीत ऐसे वक्त में हो रही है जब सीमा पर तनाव अपने चरम पर है. हाल ही में दोनों देशों ने एक दूसरे पर टकराव के दौरान हवा में गोलियां चलाने का आरोप लगाया था. LAC पर 45 साल बाद ऐसा हुआ है जब किसी भी पक्ष की तरफ से गोलियां चलाई गईं हों. .
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भारतीय थल सेना ने कहा था कि चीनी सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के करीब सात सितंबर की शाम भारतीय मोर्चे के नजदीक आने की कोशिश की और हवा में गोलियां भी चलाईं. इससे पहले PLA ने आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने LAC पार की और पैंगोंग झील के पास वॉर्निंग फायर किए. पिछले हफ्ते विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीमा के हालातों को बेहद गंभीर बताते हुए कहा था कि राजनीतिक स्तर पर बहुत गहन विचार विमर्श की जरूरत है. बताते चलें कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को संघर्ष में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव काफी बढ़ गया था. चीनी जवान भी हताहत हुए लेकिन पड़ोसी देश ने उनका ब्योरा नहीं दिया. अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार चीन के भी 35 जवान मारे गये. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘सीमा पर अगर अमन-चैन नहीं रहता तो बाकी रिश्ते जारी नहीं रह सकते क्योंकि स्पष्ट रूप से संबंधों का आधार शांति ही है.'
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सरकार के शीर्ष अधिकारी ने कल बताया था कि भारत और चीन के हालात बेहद तल्ख हो चले हैं कि यह किसी भी वक्त आर-पार की लड़ाई में तब्दील हो सकती है. हालांकि उन्होंने कहा कि फिलहाल कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. दोनों पक्षों के बीच कमांडर स्तर की बातचीत के लिए सहमति बनी है हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है. दक्षिण पैंगोंग की (South Pangong) जमीनी स्थिति को लेकर अधिकारियों ने चिंता तो जताई लेकिन उनका मानना है कि अभी जंग जैसे हालात नहीं बने हैं.
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