कोसी नदी में बाढ़ की आशंका को देखते हुए बिहार सरकार की ओर से व्यापक तैयारी की गई है। सरकार की ओर से 100 से अधिक राहत शिविर बनाए गए हैं और बिहार सरकार ने राज्य के नौ जिलों में नदी और इसके किनारों के बीच रहने वाले लोगों को जबरन क्षेत्र खाली कराने के आदेश दिए हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव अनिरुद्ध कुमार ने संवाददाताओं से कहा, 'हमने आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान लागू किए हैं ताकि कोसी के खतरे वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को जबरन खाली कराया जा सके। अब तक हमने 16800 लोगों को बाहर निकाला है, लेकिन 60 हजार से ज्यादा लोग अब भी नदी और इसके किनारों पर रह रहे हैं।' कुमार ने कहा, 'हमारे नवीनतम आकलन के मुताबिक अगर नदी में बाढ़ आती है तो राज्य में कोसी के आसपास रह रहे 4.25 लाख लोग प्रभावित होंगे। हम उन सभी को हटाने का प्रयास कर रहे हैं।'
प्रशासन की ओर से इस काम के लिए 300 नावों को लगाया गया है। एनडीआरएफ की आठ टीमें भी सुपौल पहुंच चुकी हैं। इसके अलावा दो और अतिरिक्त टीमें आज यहां पहुंचेंगी। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वायुसेना को भी सतर्क रहने को कहा गया है। वायुसेना के MI−17 हेलिकॉप्टरों को गोरखपुर और बागडोगरा में अलर्ट पर रखा गया है। बिहार सरकार की ओर से आपातकालीन स्थिति के लिए 15 सैटेलाइट्स फोन की भी व्यवस्था की गई है।
इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज सुबह मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को फोन किया और बिहार में बाढ़ के खतरे को देखते हुए हालात की जानकारी ली। मांझी ने ताजा हालात तथा लोगों की सुरक्षा के लिए उठा जा रहे कदमों की जानकारी गृहमंत्री को दी।
गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया है, 'गृहमंत्री ने प्रभावित लोगों के बचाव व राहत कार्य के लिए केंद्र से हरसंभव मदद का आश्वासन मुख्यमंत्री को दिया।' सिंह ने मांझी को बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के दल पहले ही उन इलाकों को भेज दिए गए हैं जहां कोसी नदी के खतरे के निशान से ऊपर चढ़ने की आशंका है।
दरअसल, नेपाल में भूस्खलन के कारण कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि से भारी तबाही का खतरा पैदा हो गया है। बाढ़ के खतरे के मद्देनजर राज्य सरकार ने इस नदी के तटीय भागों में पड़ने वाले सभी जिलों के पुलिस एवं प्रशासन को हाईअलर्ट कर दिया है और आपात स्थिति से निपटने के लिए सेना से मदद मांगी है।
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने बताया कि कोसी नदी इलाके में पड़ने वाले सभी आठों जिलों में तटबंध के भीतर रहने वाली करीब 1.5 लाख आबादी को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने के लिए पुलिस एवं प्रशासन को लगाया गया है।
बिहार-नेपाल सीमा से करीब 260 किलोमीटर दूर नेपाल भाग में कोसी नदी के जलग्रहण क्षेत्र अंतर्गत भोटे कोसी नदी में सिंधु पाल जिले के तहत खदी चौर के समीप शुक्रवार रात अचानक भू-स्खलन हो गया और उसके कारण काफी मात्रा में पानी रुक गया। संकट की यह स्थिति ऐसे समय उत्पन्न हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो-दिवसीय दौरे पर नेपाल जा रहे हैं।
व्यास जी ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग के आंकलन के मुताबिक भूस्खलन वाले स्थान पर भोटे कोसी नदी में करीब 14 लाख क्यूसेक पानी जमा हो गया है, जबकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार को नेपाल स्थित भारतीय दूतावास ने भूस्खलन स्थल पर 25 लाख क्यूसेक पानी के जमा होने की सूचना दी है। बिहार सरकार वर्ष 2008 में नेपाल के कुसहा के समीप कोसी नदी के तटबंध टूटने के कारण आयी प्रलयंकारी बाढ की स्थिति से बचना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि भारत-नेपाल सीमा स्थित कुसहा बांध के समीप 18 अगस्त, 2008 को कोसी नदी का तटबंध टूटने से आई प्रलयंकारी बाढ़ के कारण उत्तर बिहार के पांच जिलों में 250 लोगों की मौत हो गई थी और 30 लाख लोग बेघर हो गए थे।
अचानक जलस्तर में वृद्धि होने की स्थिति में वीरपुर बराज को खुला रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि अधिक से अधिक पानी आगे की ओर प्रवाहित हो जाए। वीरपुर बराज की आठ लाख क्यूसेक तक जल प्रवाहित करने की क्षमता है।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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