शंकरसिंह वाघेला की फाइल फोटो
पूर्व केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकरसिंह वाघेला के गांधीनगर स्थित निवास स्थान पर बुधवार सुबह से सीबीआई की 12 सदस्यों की टीम ने छापा मारा और जांच की।
सीबीआई ने बताया कि शंकरसिंह वाघेला के खिलाफ 1700 करोड़ रुपये के घोटाले के एक मामले में एफआईआर दर्ज की गई है और उसी के तहत यह कार्रवाई की जा रही है।
यूपीए-1 के वक्त शंकरसिंह वाघेला टेक्सटाइल मंत्री थे। मुंबई के परेल में एनटीसी (नेश्नल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन) की बंद मिलों की ज़मीन बेची गई थी। सरकार का आरोप है कि उस वक्त जो ज़मीन बेची गई थी, उसमें घोटाला हुआ है।
एनटीसी ने सस्ते दामों पर वह ज़मीन बेची थीं। अगर वह ज़मीन बाजार के मुताबिक कीमतों से बेची जाती तो सरकारी खजाने में 1700 करोड़ रुपये आते। इसी के तहत करीब एक साल तक प्राथमिक जांच के बाद वाघेला और तत्कालीन एनटीसी के प्रबंधन निदेशक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
बुधवार को इस मामले में सबूत इकट्ठा करने के लिए शंकरसिंह वाघेला के निवास समेत देश-भर में कुल 9 जगहों पर छापेमारी की गई। इस बीच छापे की कार्रवाई खत्म होने के बाद शंकरसिंह मीडिया से रूबरू हुए और उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार राजनैतिक बदले की भावना से उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में बीजेपी की नैया डगमगा रही है, इसलिए अब बीजेपी सीबीआई का दुरुपयोग कर उनके खिलाफ झूठे मामले बना रही है।
उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि ललित मोदी मामले में सरकार की वरिष्ठ मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के सत्ता के दुरुपयोग करने के मामले सामने आने के बाद मोदी सरकार इन घोटालों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है और इसलिए ऐसी बेबुनियाद कार्रवाई उनके खिलाफ की जा रही है।
कांग्रेस के नेता इस मामले में शंकरसिंह के साथ खड़े दिखे। सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने भी इसे बदले की कार्रवाई करार दिया। कांग्रेस आनेवाले दिनों में सत्ता का दुरुपयोग कर उनके नेताओं के खिलाफ झूठे केस का आरोप लगाकर राज्य में राजनैतिक सरगर्मी बढ़ाने की तैयारी कर रही है।
सीबीआई ने बताया कि शंकरसिंह वाघेला के खिलाफ 1700 करोड़ रुपये के घोटाले के एक मामले में एफआईआर दर्ज की गई है और उसी के तहत यह कार्रवाई की जा रही है।
यूपीए-1 के वक्त शंकरसिंह वाघेला टेक्सटाइल मंत्री थे। मुंबई के परेल में एनटीसी (नेश्नल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन) की बंद मिलों की ज़मीन बेची गई थी। सरकार का आरोप है कि उस वक्त जो ज़मीन बेची गई थी, उसमें घोटाला हुआ है।
एनटीसी ने सस्ते दामों पर वह ज़मीन बेची थीं। अगर वह ज़मीन बाजार के मुताबिक कीमतों से बेची जाती तो सरकारी खजाने में 1700 करोड़ रुपये आते। इसी के तहत करीब एक साल तक प्राथमिक जांच के बाद वाघेला और तत्कालीन एनटीसी के प्रबंधन निदेशक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
बुधवार को इस मामले में सबूत इकट्ठा करने के लिए शंकरसिंह वाघेला के निवास समेत देश-भर में कुल 9 जगहों पर छापेमारी की गई। इस बीच छापे की कार्रवाई खत्म होने के बाद शंकरसिंह मीडिया से रूबरू हुए और उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार राजनैतिक बदले की भावना से उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में बीजेपी की नैया डगमगा रही है, इसलिए अब बीजेपी सीबीआई का दुरुपयोग कर उनके खिलाफ झूठे मामले बना रही है।
उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि ललित मोदी मामले में सरकार की वरिष्ठ मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के सत्ता के दुरुपयोग करने के मामले सामने आने के बाद मोदी सरकार इन घोटालों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है और इसलिए ऐसी बेबुनियाद कार्रवाई उनके खिलाफ की जा रही है।
कांग्रेस के नेता इस मामले में शंकरसिंह के साथ खड़े दिखे। सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने भी इसे बदले की कार्रवाई करार दिया। कांग्रेस आनेवाले दिनों में सत्ता का दुरुपयोग कर उनके नेताओं के खिलाफ झूठे केस का आरोप लगाकर राज्य में राजनैतिक सरगर्मी बढ़ाने की तैयारी कर रही है।
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