तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) पर गतिरोध को दूर करने के लिए बुधवार को हुई 10वें दौर की बैठक में केंद्र सरकार ने थोड़ी नरमी दिखाई और सभी नए कृषि कानूनों को डेढ़ वर्षों तक के लिए निलंबित रखने का प्रस्ताव दिया. सरकार ने किसान संगठनों और सरकार के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति गठित करने का भी प्रस्ताव दिया है लेकिन किसान नेताओं ने इसे तत्काल स्वीकार नहीं किया और कहा कि वे आपसी चर्चा के बाद सरकार के समक्ष अपनी राय रखेंगे. किसान आज (गुरुवार) सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे. 11वें दौर की वार्ता अब 22 जनवरी को होगी. 10वें दौर की वार्ता में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश समेत लगभग 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधि विज्ञान भवन में शामिल हुए थे.
- 10वें दौर की वार्ता में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि वह कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक रोकने के लिए तैयार है. इस पर किसान संगठनों ने कहा है कि वे इस प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार हैं. ऑल इंडिया किसान सभा पंजाब के नेता बालकरण सिंह बरार ने NDTV से बातचीत में कहा, 'भारत सरकार ने 10वें दौर की बैठक (Talk Between government and Farmers) में हमारे सामने एक नया प्रस्ताव रखा है, इसमें कहा गया है कि वह एक विशेष समिति गठित करने को तैयार है, जो तीनों नए कानूनों के साथ-साथ हमारी सारी मांगों पर विचार करेगी.
- भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा, ‘‘सरकार ने कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का प्रस्ताव रखा, हमने इसे खारिज कर दिया लेकिन यह प्रस्ताव चूंकि सरकार की तरफ से आया है, हम गुरुवार को इस पर आपस में चर्चा करेंगे और फिर अपनी राय बतायेंगे.''एक अन्य किसान नेता कविता कुरूगंती ने कहा कि सरकार ने तीनों कानूनों को आपसी सहमति से निर्धारित समय तक निलंबित करने और समिति गठित करने के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा देने का प्रस्ताव भी रखा है.
- किसान नेताओं ने कहा कि वे तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर कायम हैं लेकिन इसके बावजूद वे सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे और अपनी राय से अगली बैठक में वे सरकार को अवगत कराएंगे. केंद्र सरकार ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से 10वें दौर की वार्ता में तीनों कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भी रखा लेकिन प्रदर्शनकारी किसान इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे. किसानों ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने पर चर्चा टाल रही है.
- किसान नेताओं ने कहा कि 10वें दौर की वार्ता के पहले सत्र में कोई समाधान नहीं निकला क्योंकि दोनों ही पक्ष अपने रुख पर अड़े रहे. उन्होंने कहा कि बुधवार की वार्ता में 11वें दौर की वार्ता की तारीख तय करने के अलावा कोई नतीजा नहीं निकला है. ज्ञात हो कि कृषि कानूनों के अमल पर उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक पहले ही रोक लगा रखी है. शीर्ष अदालत ने भी एक समिति गठित की है.
- बैठक के दौरान किसान नेताओं ने कुछ किसानों को एनआईए की ओर से जारी नोटिस का मामला भी उठाया और आरोप लगाया कि किसानों को आंदोलन का समर्थन करने के लिए प्रताड़ित करने के मकसद से ऐसा किया जा रहा है. सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे इस मामले को देंखेंगे. भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा कि दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हुए है. सरकार पहले तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा चाहती है और एमएसपी के मुद्दे पर बाद में चर्चा चाहती है. उन्होंने कहा, ‘‘अगले सत्र में हम एमएसपी पर चर्चा के लिए जोर डालेंगे और वार्ता की अगली तारीख 26 जनवरी से पहले तय करने को कहेंगे.''