विज्ञापन
This Article is From Apr 28, 2021

दिल्ली में जिन्हें चार कंधे नसीब नहीं हो रहे, उनका अंतिम संस्कार करा रहे ये दो शख्स, अब तक 322...

पेशे से प्रीतम व्यवसायी हैं और देवेंदर फ़ोटोग्राफ़र. मरने वाला अगर मुसलमान है तो उसे क़ब्रिस्तान ले जाते हैं और अगर हिंदू है तो उसे शमशान घाट ले जाते हैं.

दिल्ली में जिन्हें चार कंधे नसीब नहीं हो रहे, उनका अंतिम संस्कार करा रहे ये दो शख्स, अब तक 322...
Delhi Covid Body Cremation
नई दिल्ली:

देश में हर रोज़ कोरोना से हज़ारों लोगों की मौत हो रही है, हालात इतने ख़राब हैं कि कुछ मरने वालों का अंतिम संस्कार करने वाला भी कोई नहीं है. दिल्ली में प्रीतम सिंह और उनके साथी उन लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं, जिनकी कोरोना से घर पर ही मौत हो गई. ऐसे ही एक घर में मौत हुई है तो कोई सोसाइटी वाला तैयार ही नहीं है. अकेले यहां इंसानियत की मौत हुई है. 48 साल के प्रीतम सिंह और उनके साथी देवेंदर दिल्ली के रानीबाग में एक बुज़ुर्ग का शव अंतिम संस्कार के लिए लेने आए हैं. 70 साल के ए एन यादव की सोमवार रात कोरोना से मौत हो गई.

परिवार में अंतिम संस्कार कराने वाला भी कोई नहीं है. पत्नी बुज़ुर्ग हैं और वो भी कोविड की शिकार हैं. सिर्फ़ एक बेटी है जो नीचे असहाय खड़ी है. बेटी नीलम ने बताया कि कोविड से पिता की डेथ हुई है, कल कहीं अस्पताल नहीं मिला .पहली मंज़िल से शव उतारना था और हम दो लोग मदद मांग रहे थे. प्रीतम कहते रहे कि PP kit पहन के आ जाओ, लेकिन तमाशबीन सोसाइटी वाले तैयार नहीं हुए.बुज़ुर्ग को अंतिम यात्रा के लिए चार कंधे भी नसीब नहीं हो पाए.

युनाइटेड सिख के देवेंदर ने कहा, कोई इंसानियत नहीं है, कोरोना से किसी की भी मौत हो सकती है, लेकिन लोग मदद करने को तैयार नहीं हैं. प्रीतम और उनकी टीम अब तक कोविड प्रोटोकॉल के साथ लगभग 322 शवों का अंतिम संस्कार करा चुकी है और इस सुविधा के लिए ये लोग एक रुपया तक नहीं लेते, शव को अपनी एंबुलेंस में श्मशान तक पहुंचा कर अंतिम संस्कार तक कराते हैं. प्रीतम सिंह का कहना है कि हम उन लोगों का अंतिम संस्कार कराते हैं, जो सरकारी आंकड़ों में नहीं हैं. जो घर पर मर गए. जिनके परिवार में कोई नहीं या फिर जो हैं वो कोविड पॉज़िटिव हैं.

पेशे से प्रीतम व्यवसायी हैं और देवेंदर फ़ोटोग्राफ़र. मरने वाला अगर मुसलमान है तो उसे क़ब्रिस्तान ले जाते हैं और अगर हिंदू है तो उसे शमशान घाट ले जाते हैं. प्रीतम हमारे ज़रिए एक संदेश देना चाहते हैं. प्रीतम का कहना है कि सब उसके नूर से जन्मे हैं .भगवान को किसी ने नहीं देखा लेकिन उसके बंदों को ज़रूर देख रहे हैं, जो बिना किसी फ़ायदे के जिनका कोई नहीं उनको अपना बनाकर उनका अंतिम संस्कार करा रहे हैं.
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com