महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से तय मुलाकात करने से चूक गए। फडणवीस की यह मुलाकात महज सरकारी लालफीताशाही के चलते रह गई, जिसका खुलासा होने के बाद अब मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी बता रही है कि, ओबामा के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में रखे भोज में देवेन्द्र फडणवीस को हाजिर रहना था। गुजरे रविवार रात को यह भोज सम्पन्न हुआ। जिसमें ओबामा और फडणवीस के मुलाक़ात की सम्भावना थी। इसकी सूचना देता खत मुख्यमंत्री कार्यालय को समय पर मिला ही नहीं। जिसके चलते मुख्यमंत्री फ़डणवीस का 25 जनवरी का दिन दावोस से लौटने के लिए रखा गया। और वे नई दिल्ली नहीं गए।
सरकारी लालफ़ीताशाही के इस वाकिये की शुरुआत महाराष्ट्र सदन से हुई। यह राज्य सरकार का दिल्ली स्थित सरकारी दफ़्तर है। यहां से राज्य और केन्द्र सरकार के बीच समन्वय का काम होता है। राज्य सरकार की तरफ़ से यहां रेजिडेन्ट कमीश्नर के रूप में श्रीमती आभा शुक्ला और प्रोटोकॉल कमीश्नर के रूप में लोकेश चंद्र, इन दो आईएएस अफ़सरों की नियुक्ति की गई है। इस दफ़्तर से ओबामा से मुलाक़ात का न्यौता साधारण पोस्ट से मुंबई रवाना किया गया, जो समय पर मुंबई पहुंचा ही नहीं। न ही मुख्यमंत्री कार्यालय को इस न्यौते को फोन या ई-मेल से सूचित किया गया। जिस वजह से मुख्यमंत्री फडणवीस ओबामा से मुलाक़ात करने से चूक गए।
दावोस से लौटने के बाद जब इस बात का खुलासा मुख्यमंत्री को हुआ तब उन्होंने आगबबूला होते हुए लचर सरकारी तंत्र की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री के गुस्सा होने को एक और वजह भी है। 26 जनवरी के मौके पर मुंबई में आयोजित सरकारी समारोह में 65वां प्रजासत्ताक दिवस लिखा गया था। जबकी देश 66वां प्रजासत्ताक दिवस मना रहा है।
मामले की जांच के आदेश देने के साथ ही मुख्यमंत्री ने तुरंत इस बात का जवाब मांगा है कि, आखिर इन ग़लतियों के लिए जिम्मेदार कौन है? देखना होगा की प्रशासन मुख्यमंत्री को क्या जवाब देता है और क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होती भी है या नहीं।
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