Fact Check: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले 'चैलेंज वोट' का वायरल दावा गुमराह करने वाला

वायरल मैसेज में 'चैलेंज वोट' का उल्लेख किया गया है, और धारा 49ए को लेकर गलत व्याख्या की गयी है.

Fact Check: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले 'चैलेंज वोट' का वायरल दावा गुमराह करने वाला

नई दिल्ली:

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, यानी भारत में अगले हफ़्ते शुरू होने जा रहे लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) से पहले सोशल मीडिया पर 'चैलेंज वोट' और भारतीयों के मताधिकार से जुड़ा एक संदेश वायरल हो रहा है. देशभर में इस बार आम चुनाव सात चरणों में होंगे और सभी नतीजे 4 जून, 2024 को घोषित किए जाएंगे.

वायरल दावे में इन बातों का जिक्र किया गया है?

  • जब आप पोलिंग बूथ पर पहुंचते हैं और पाते हैं कि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो बस अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाएं और धारा 49ए के तहत 'चैलेंज वोट' मांगें और अपना वोट डालें.
  • यदि आपको लगता है कि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है, तो 'टेंडर वोट' के लिए रिक्वेस्ट करें और अपना वोट डालें. 
  • यदि किसी मतदान केंद्र पर 14% से अधिक टेंडर वोट डाले जाएंगे तो तो ऐसे मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान कराया जाएगा. 

सच्चाई क्या है?: वायरल दावे भ्रामक हैं
आइए इसके तह में जाते हैं: पोस्ट में पहला पॉइंट कहता है कि यदि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है तो आपको बस अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाना होगा और धारा 49ए के तहत "टेंडर वोट" मांगना होगा तब आप वोट डाल पाएंगे. 

  • यह दावे गलत हैं. जब किसी व्यक्ति का नाम मतदान सूची में नहीं है, तो वह मतदान नहीं कर सकता. 
  • भारत का चुनाव आयोग (ECI) नागरिकों को उनके निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में सफलतापूर्वक नाम शामिल होने के बाद मतदाता पहचान पत्र जारी करता है. सिर्फ इसलिए कि किसी के पास अपना मतदाता पहचान पत्र है इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें निश्चित रूप से मतदान करने की अनुमति दी जाएगी - क्योंकि यह अनिवार्य है कि मतदान करने के लिए उनका नाम मतदाता सूची में भी शामिल हो. 

चैलेंज वोट क्या है?: वायरल मैसेज में 'चैलेंज वोट' नामक किसी चीज़ का उल्लेख है, इसमें धारा 49 ए का जिक्र किया गया है जो गलत है. 

हालांकि, पीठासीन अधिकारियों के लिए जारी होने वाले हैंडबुक में वास्तव में 'चैलेंज वोट' का उल्लेख है. 
लेकिन, 'चुनाव संचालन नियम, 1961' की धारा 49ए 'इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के डिजाइन' का वर्णन करती है, और इसका 'चैलेंज वोट' से कोई लेना-देना नहीं है. 

दूसरा पॉइन्ट सच है: वायरल मैसेज के दूसरे बयान में कहा गया है कि अगर आपको पता चलता है कि किसी ने पहले ही आपका वोट डाल दिया है, तो आप 'टेंडर वोट' मांग सकते हैं और अपना वोट डाल सकते हैं. 

  • यह सच है. चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 42 के अनुसार, यदि मतदान अधिकारी किसी व्यक्ति को बताता है कि उसका वोट पहले ही डाला जा चुका है, तो उसे तुरंत इसे पीठासीन अधिकारी के ध्यान में लाना चाहिए. 
  • ऐसे मामले में, पीठासीन अधिकारी किसी की पहचान की पुष्टि करने के लिए कुछ सवाल उससे पूछ सकता है. 
  • एक टेंडर मतपत्र, मतदान केंद्र पर प्रदर्शित मतपत्र की तरह ही होता है, सिवाय इसके कि इसके पीछे 'टेंडर मतपत्र' शब्दों के साथ लिखा होता है. 
  • अंतिम पॉइन्ट: मैसेज के अंत में कहा गया है कि "यदि किसी मतदान केंद्र पर 14% से अधिक टेंडर वोट दर्ज किए जाते हैं, तो ऐसे मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान कराया जाएगा. 
  • यह कथन गलत है. द क्विंट से बात करते हुए, ईसीआई के पूर्व निदेशक, पद्मा एंगमो ने 2019 में स्पष्ट किया था कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर ही टेंडर किए गए वोटों पर विचार किया जाएगा. 

निष्कर्ष: चुनाव से पहले 'टेंडर वोट' के बारे में एक भ्रामक दावा वायरल हो रहा है.

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यह ख़बर मूल रूप से The Quint द्वारा प्रकाशित की गई थी, और इसे शक्ति कलेक्टिव के अंतर्गत NDTV ने पुनर्प्रकाशित किया है.