पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ एक बड़ा टकराव मोल ले लिया है वो भी एक ऐसे वक्त में जब पाकिस्तान की माली हालत बहुत खराब है. महंगाई चरम पर है और लोग बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इतना ही नहीं भारत ने हमले के लिए जिम्मेदार आतंकियों और उन्हें समर्थन देने के लिए जिम्मेदार पाकिस्तानियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का फैसला किया है. कार्रवाई कब, कहां और कैसे होगी इसका फैसला भारत ने सेना पर छोड़ दिया है. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि पाकिस्तान की जो आर्थिक हालत है उसमें अगर युद्ध होता है तो वो भारत के सामने कितना टिक पाएगा. पाकिस्तान के पास बमुश्किल दो महीने के आयात के लिए भी पैसा नहीं है. ऐसे में आज हम तुलना करेंगे भारत और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति की. जिसमें पाकिस्तान कहीं टिकता नहीं दिख रहा है.

सबसे पहले बात करते हैं कि दोनों देशों के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में कितना अंतर है. जीडीपी किसी भी देश की आर्थिक हालत को जानने-समझने का एक आंकड़ा है जो उस देश की आर्थिक गतिविधियों का कुल आकार यानी साइज बताती है. भारत और पाकिस्तान की जीडीपी में शुरू से ही काफी अंतर रहा है. 1980 में पाकिस्तान की जीडीपी 38.62 अरब डॉलर थी और भारत की 186.17 अरब डॉलर. समय के साथ ये अंतर बढ़ता चला गया और आज यही अंतर दस गुना से भी ज्यादा हो चुका है.

2024 में पाकिस्तान की जीडीपी जहां करीब 373 अरब डॉलर थी. वहीं 2024 में भारत की जीडीपी 3910 अरब डॉलर हो चुकी थी. जो अब सवा चार हजार अरब डॉलर से ऊपर हो चुकी है और IMF द्वारा अप्रैल 2025 में जारी World Economic Outlook के मुताबिक भारत जीडीपी के मामले में दुनिया में पांचवें से चौथे स्थान पर आ चुका है. जापान को उसने पीछे छोड़ दिया है जबकि पाकिस्तान 43वें स्थान पर है.
जीडीपी का विकास किस तेजी से हो रहा है ये भी किसी देश की आर्थिक बेहतरी का संकेत देता है. बताता है कि उस देश में आर्थिक गतिविधियां किस तेजी से बढ़ रही हैं. इस लिहाज से भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ रहा है. 2024-25 में भारत की जीडीपी विकास दर 6.5% रही जबकि पाकिस्तान की महज 2.5% रही. जबकि इससे पहले के साल पाकिस्तान की जीडीपी विकास दर शून्य से नीचे चली गई थी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने पाकिस्तान को उबारने के लिए कर्ज दिया जिससे उसकी अर्थव्यवस्था में कुछ जान आई है. इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान को उबारने के लिए कर्ज दिया है लेकिन ये कर्ज चुकाना भी होता है जो पाकिस्तान के लिए बड़ी मुश्किल बना हुआ है. पाकिस्तान कर्ज के बड़े जाल में फंस चुका है.

जीडीपी के आंकड़ों पर आगे और विश्लेषण से पहले दोनों देशों की आबादी पर डाल लेते हैं एक नजर
आबादी के लिहाज से पाकिस्तान हमारे उत्तरप्रदेश राज्य से बस थोड़ा ही ज्यादा बड़ा है. साल 2024 में पाकिस्तान की आबादी के 25.13 करोड़ होने का अनुमान था जबकि भारत की आबादी 145 करोड़ को पार कर चुकी थी. यानी आबादी के लिहाज से भारत पाकिस्तान से करीब छह गुना बड़ा है.
अगर देश की आबादी ज्यादा हो और जीडीपी भी ज्यादा हो तो किसी दूसरे देश के साथ बेहतर तुलना करने के लिए जीडीपी के आंकड़ों के बजाय प्रति व्यक्ति जीडीपी के आंकड़ों को देखा जाना चाहिए. IMF के आंकड़ों के मुताबिक 2024 में पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1580 डॉलर थी जबकि भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2710 डॉलर थी. जो बताती है कि प्रति व्यक्ति भारत की जीडीपी पाकिस्तान से कहीं बेहतर है. हालांकि, विकसित देशों के मुकाबले ये अब भी काफी कम है इसलिए इसे और बेहतर किए जाने की जरूरत है. अर्थव्यवस्था के कुछ जानकार मानते हैं कि विकसित दर्जा हासिल करने के लिए 12 हजार से 15 हजार डॉलर प्रति व्यक्ति जीडीपी काफी है जबकि कुछ मानते हैं कि ये 25 हजार डॉलर प्रति व्यक्ति जीडीपी होनी चाहिए. तो भारत के लिए अभी लंबा रास्ता बाकी है. मोदी सरकार ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है.
पाकिस्तान की जीडीपी की तुलना भारत से तो नहीं की जा सकती लेकिन एक अनुमान के लिए हम उसकी तुलना भारत की सबसे बड़ी कंपनी से कर सकते हैं. 2024 में मार्केट कैपिटल के हिसाब से टाटा ग्रुप सबसे बड़ी कंपनी थी जिसका मार्केट कैपिटल 400 अरब डॉलर था जबकि उसकी तुलना में पूरे पाकिस्तान की जीडीपी कम थी. मह़ज 373 अरब डॉलर.
पाकिस्तान की जीडीपी की तुलना को और बेहतर समझने के लिए एक और उदाहरण- भारत के सभी राज्यों में सबसे ज्यादा जीडीपी महाराष्ट्र की है. 2024 में महाराष्ट्र की जीडीपी 439 अरब डॉलर रही जो पाकिस्तान की 373 अरब डॉलर की जीडीपी से 66 अरब डॉलर ज्यादा थी.

किसी भी देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी उस देश की ताकत का एक पैमाना होता है. किसी भी देश की आर्थिक स्थिरता के लिए विदेशी मुद्रा भंडार अहम है. संकट के समय विदेशी मुद्रा भंडार उससे निपटने के काम आता है. इसके ज़रिए देश अपनी मुद्राओं की कीमत को स्थिर रखने का काम करते हैं. अंतरराष्ट्रीय भुगतान को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार होना चाहिए. जरूरी सामान के आयात और वित्तीय व्यवस्था में विश्वास बनाए रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार अहम है. अब इस पैमाने पर देखते हैं कि पाकिस्तान भारत के मुकाबले कहां खड़ा है. 18 अप्रैल 2025 तक पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार महज 15.4 अरब डॉलर था. ये बस इतना ही पैसा ही कि पाकिस्तान दो महीने का आयात कर पाए जबकि इसके मुक़ाबले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 18 अप्रैल को 686 अरब डॉलर था. ये भारत के लिए करीब ग्यारह महीने से साल भर तक के आयात के लिए काफी है.
अपनी सुरक्षा के लिए कोई भी देश रक्षा खर्च का पर्याप्त प्रावधान रखता है. अगर रक्षा खर्च की बात करें तो इसमें भी भारत काफी आगे रहा है. 2024 में भारत ने पाकिस्तान से करीब नौ गुना ज़्यादा पैसा रक्षा पर खर्च किया. स्वीडिश थिंक टैंक Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI) के मुताबिक 2024 में पाकिस्तान ने 10.2 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च किए जबकि इसके मुक़ाबले भारत ने 86.1 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च किए. रक्षा खर्च के मामले में भारत दुनिया में पांचवें स्थान पर रहा है.
किसी भी देश की आर्थिक ताकत का एक पैमाना उसकी मुद्रा की अंतरराष्ट्रीय क़ीमत भी है. इस मामले में भारत और पाकिस्तान के रुपये की तुलना करें तो पाकिस्तान के 3 रुपए 30 पैसे की क़ीमत भारत के एक रुपए के बराबर है. अमेरिकी डॉलर की तुलना में देखें तो एक डॉलर की कीमत आज 84.58 भारतीय रुपए के बराबर है जबकि पाकिस्तानी रुपए को देखें तो एक डॉलर की कीमत 281 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं. उनमें से एक है व्यापारिक रिश्तों पर रोक लगाना भी है. भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों पर रोक लगा दी है. इसका पाकिस्तान को काफी नुक़सान होगा. भारत से पाकिस्तान को सबसे ज़्यादा निर्यात ऑर्गैनिक केमिकल्स और फार्मास्युटिकल उत्पादों का होता था. रोक से पाकिस्तान को दवाओं और उद्योग के क्षेत्र में दिक्कत आएगी. हालांकि, लगातार बिगड़े रिश्तों के मद्देनजर दोनों देशों के बीच व्यापार बहुत ज़्यादा नहीं था. अगर दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन को देखें तो ये पूरी तरह भारत के पक्ष में झुका हुआ है. अप्रैल से लेकर जनवरी 2024-25 तक भारत से पाक को 44.76 करोड़ डॉलर का सामान निर्यात हुआ था जबकि पाकिस्तान से भारत को निर्यात महज़ 4.2 लाख डॉलर का था.

पाकिस्तान विदेशी कर्ज के जाल में फंसा हुआ है. इस डेट ट्रैप को पिछले साल वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने डेथ ट्रैप तक कह दिया था. अब इसके सबूत के तौर पर आंकड़ों को देख लेते है. पाकिस्तान पर कुल कर्ज अपनी जीडीपी का 74.3% है. यानी 100 रुपए अगर जीडीपी हो तो 74 रुपए से ज्यादा तो का कर्ज पाकिस्तान पर है और उसमें भी विदेशी कर्ज में सबसे बड़ा हिस्सा यानी 72% उसे चीन को चुकाना है. चीन द्वारा China-Pakistan Economic Corridor (CPEC) के तहत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पाकिस्तान को दिया गया कर्ज उसकी कमर तोड़ने जा रहा है. दुनिया के कई देशों में चीन का कर्ज चुकाना उन देशों के लिए आफत बन चुका है.
अब एक नजर डाल लेते हैं पाकिस्तान में ज़रूरी चीज़ों की क़ीमतें किस कदर आसमान को छू रही हैं
- पाकिस्तान में चीनी की कीमत करीब 180 पाकिस्तानी रुपए प्रति किलोग्राम हो चुकी है.
- एक किलो चावल की कीमत 340 पाकिस्तानी रुपए तक पहुंच चुकी है
- एक किलो चिकन की कीमत 800 रुपए तक पहुंच चुकी है.
- एक किलो नींबू की कीमत करीब 900 रुपए तक पहुंच चुकी है.
- एक किलो घी की कीमत 2800 रुपए से ऊपर पहुंच चुकी है.
- एक किलो शहद की कीमत 1100 रुपए से 1500 रुपए तक पहुंच चुकी है.
- आने वाले दिनों में पाकिस्तान और खाद वगैरह की कीमत भी काफी बढ़ने वाली हैं क्योंकि इसके लिए जरूरी सामान जो भारत से आयात होता था वो अब आना बंद हो गया है. पाकिस्तान की जनता महंगाई से पहले से ही काफी त्रस्त है.
अब गर्मियों का मौसम है और पाकिस्तान में जो हालात हैं वो और खराब होने के आसार हैं. पाकिस्तान के सामने पहले ही इतनी चुनौतियां हैं और अब वो भारत से उलझा है.
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