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Explainer: सैन्य छावनियों का नागरिक क्षेत्रों पर नियंत्रण होगा खत्म, जानिए इसके क्या हैं मायने?

छावनियों को लिखे गए पत्र में सरकार ने नागरिक क्षेत्रों को अलग करने और राज्य के नगर निगमों, नगर पालिकाओं के साथ उनके विलय के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

Explainer: सैन्य छावनियों का नागरिक क्षेत्रों पर नियंत्रण होगा खत्म, जानिए इसके क्या हैं मायने?
देश में वर्तमान में 62 नोटिफाइड छावनियां हैं जिनका कुल क्षेत्रफल 1.61 लाख एकड़ है.
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार नागरिक क्षेत्रों (Civilian Areas) को रक्षा क्षेत्रों (Defence Areas) से अलग करने की प्रक्रिया आगे बढ़ा रही है. देश की 13 सैन्य छावनियों (Military Cantonments) की संपत्तियों के अधिकार स्थानीय नगर निगमों, नगर पालिकाओं को हस्तांतरित किए जाएंगे. इसका अर्थ यह है कि सैन्य स्टेशन सेना के पास रहेंगे, जबकि उनके बाहर के क्षेत्र राज्य सरकार को ट्रांसफर कर दिए जाएंगे. 

छावनियों को लिखे गए पत्र में सरकार ने नागरिक क्षेत्रों को अलग करने और राज्य नगर पालिकाओं के साथ उनके विलय को लेकर व्यापक गाइडलाइन जारी की है. पत्र में कहा गया है कि यह दिशानिर्देश पिछले सप्ताह रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने की अध्यक्षता में हुई बैठक में तैयार किए गए थे.

बिना किसी शुल्क के हस्तांतरित होंगे अधिकार 

सरकार ने पत्र में कहा है कि, "क्षेत्र में नागरिक सुविधाएं और नगरपालिका सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई सभी परिसंपत्तियों के स्वामित्व के अधिकार राज्य सरकार/राज्य नगर पालिकाओं को बिना किसी शुल्क के हस्तांतरित किए जाएंगे. छावनी बोर्डों की परिसंपत्तियां और देनदारियां राज्य नगर पालिकाओं को ट्रांसफर की जाएंगी."

पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सरकार जहां लागू होगा, वहां स्वामित्व का अधिकार बरकरार रखेगी.

आदेश में कहा गया है कि, "नगरपालिका अपने अधिकार क्षेत्र के तहत ऐसे क्षेत्रों पर स्थानीय कर/शुल्क लगा सकेगी. हालांकि इन क्षेत्रों को अलग करते समय सशस्त्र बलों की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को उचित प्राथमिकता दी जाएगी. यदि ऐसी कुछ निजी स्वामित्व वाली भूमि है जिसे अलग करने से सैन्य स्टेशन की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है, तो मामले के आधार पर इस पर विचार किया जाएगा."

क्यों किया जा रहा बदलाव?

सरकार का मानना है कि छावनी एक पुरातन औपनिवेशिक विरासत का हिस्सा है और वर्तमान व्यवस्था में इन क्षेत्रों के निवासी राज्य सरकार की कुछ कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं.

छावनियों में नागरिक क्षेत्र और सैन्य क्षेत्रों को अलग-अलग करने का मुद्दा स्वतंत्रता के बाद के दौर से ही चर्चा में रहा है. सन 1948 में कांग्रेस के दिग्गज नेता एसके पाटिल की अध्यक्षता वाली एक कमेटी ने छह छावनियों में नागरिक क्षेत्रों को अलग करने की सिफारिश की थी, लेकिन इसके खिलाफ जनता के विरोध का हवाला देते हुए यह योजना रद्द कर दी गई थी. उसके बाद से यह मुद्दा कई मौकों पर सामने आया. सरकार ने ताजा कदम इसी सिलसिले में उठाया है.

रक्षा मंत्रालय देश का सबसे बड़ा भूस्वामी

रक्षा मंत्रालय के पास करीब 18 लाख एकड़ जमीन है. इस तरह यह मंत्रालय देश का सबसे बड़ा भूस्वामी है. अतीत में संसदीय पैनल ने गैर-सैन्य उद्देश्यों, जैसे कि छावनी के नागरिक क्षेत्रों में नागरिक व्यय के लिए रक्षा निधि के उपयोग पर चिंता जताई थी.

देश में वर्तमान में 62 अधिसूचित छावनियां हैं. इनका कुल क्षेत्रफल 1.61 लाख एकड़ है. फिलहाल सभी नागरिक और नगरपालिका मामलों को सैन्य छावनी बोर्ड संभालते हैं.

हालांकि, एक बड़ा सवाल यह है कि क्या नगर निगम और नगर पालिकाओं जैसे नागरिक निकाय, जो पहले से ही कर्मचारियों और धन की कमी से जूझ रहे हैं, अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल सकते हैं?

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