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Explainer: दिल्‍ली मेट्रो के फेज-4 के पहले तीन कॉरिडोर के बारे में जानिए सब कुछ

दिल्ली सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस एमओयू के बाद तीन गलियारों पर काम में तेजी आ जाएगी. केजरीवाल सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, "मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार, केंद्र और डीएमआरसी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है."

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Explainer: दिल्‍ली मेट्रो के फेज-4 के पहले तीन कॉरिडोर के बारे में जानिए सब कुछ
दिल्‍ली मेट्रो के फेज-4 के पहले तीन कॉरिडोर के MoU को मंजूरी...
नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मेट्रो रेल के चौथे चरण के तहत बनाये जा रहे पहले तीन कॉरिडोर्स पर दिल्ली सरकार, केंद्र और डीएमआरसी के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है. एक आधिकारिक बयान में सोमवार को यह जानकारी दी गई. दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) इस परियोजना के हिस्से के रूप में 45 स्टेशन तक फैले तीन प्राथमिकता वाले गलियारों के 65.2 किलोमीटर लंबे हिस्से पर निर्माण कार्य कर रहा है. आइए आपको बताते हैं, मेट्रो के इस कॉरिडोर से जुड़ी महत्‍वपूर्ण बातें...

दिल्ली सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस एमओयू के बाद तीन गलियारों पर काम में तेजी आ जाएगी. केजरीवाल सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, "मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार, केंद्र और डीएमआरसी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है."

ये हैं 3 कॉरिडोर

मेट्रो रेल के चौथे चरण के तहत बनाये जा रहे पहले तीन गलियारे हैं,  जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम मार्ग (28.92 किमी), मजलिस पार्क-मौजपुर (12.55 किमी), जो दोनों दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन और पिंक लाइन के विस्तार हैं... और एयरोसिटी-तुगलकाबाद (23.62 किमी), यह कॉरिडोर वॉयलेट लाइन और एयरपोर्ट लाइन को उनके संबंधित अंतिम स्‍टेशनों से जोड़ने के लिए गोल्डन लाइन के रूप में बनाया जा रहा है. मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इसके साथ, इन तीन गलियारों पर काम "गति पकड़ेगा".

केंद्र सरकार के पास लंबित अन्य तीन चरण-4 कॉरिडोर

एमओयू में कहा गया है, "मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार, केंद्र और डीएमआरसी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि इन गलियारों के निर्माण में सभी 'बाधाएं' दूर हो जाएंगी. केजरीवाल सरकार केंद्र सरकार के पास लंबित अन्य तीन चरण-4 गलियारों के लिए भी जल्द से जल्द मंजूरी लेने की कोशिश कर रही है." केंद्र की मंजूरी का इंतजार कर रहे तीन प्रस्तावित गलियारे रिठाला-बवाना-नरेला, इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ और लाजपत नगर-साकेत जी ब्लॉक हैं. जुलाई 2023 में डीएमआरसी ने कहा था कि नेटवर्क के प्रस्तावित रिठाला-बवाना-नरेला कॉरिडोर को संभवतः पड़ोसी राज्य को अतिरिक्त कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए हरियाणा के कुंडली तक बढ़ाया जा सकता है. बयान में कहा गया है कि ये तीन शेष गलियारे 47 किमी लंबे होंगे और इनमें 39 स्टेशन होंगे.  इसमें कहा गया, "एमओयू कई वर्षों से लंबित था. सीएम अरविंद केजरीवाल ने एमओयू का रास्ता साफ करने के लिए व्यक्तिगत प्रयास किए."

"भारत सरकार ने 09.03.2019, 04.07.2019 और 02.01.2020 को दिल्ली मेट्रो चरण-IV परियोजनाओं के तीन प्राथमिकता वाले गलियारों के कार्यान्वयन के लिए अपनी मंजूरी दे दी है. ये कॉरिडोर हैं- आर के आश्रम से जनकपुरी पश्चिम (22 स्टेशन), एयरोसिटी से तुगलकाबाद ( 15 स्टेशन) और मजलिस पार्क से मौजपुर (8 स्टेशन)

दिल्‍ली सरकार की है ये जिम्‍मेदारी 

दिल्ली मेट्रो चरण-IV परियोजनाओं के तीन प्राथमिकता वाले गलियारों पर कुल लागत 24,948.65 करोड़ रुपये आएगी. एमओयू के अनुसार, दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में परिवहन के सभी साधनों में एकीकृत टिकटिंग और निर्बाध यात्रा के लिए एक सामान्य गतिशीलता कार्ड प्रदान करने के लिए डीएमआरसी के साथ काम करेगी. बयान में कहा गया है कि एमओयू क्षेत्र में एक अच्छी तरह से जुड़े नेटवर्क स्थापित करने के लिए उपनगरीय रेलवे (रेल मंत्रालय को शामिल करके) सहित मल्टी-मॉडल एकीकरण की सुविधा प्रदान करता है. बयान में कहा गया है कि एमओयू के अनुसार, दिल्ली सरकार को परियोजना की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करने और डीएमआरसी को कब्जा सौंपने के लिए आवश्यक "सभी कार्रवाई शीघ्रता से" करनी होगी. आवश्यक कार्रवाई में सरकारी भूमि का पट्टा/हस्तांतरण और/या निजी भूमि की खरीद/अधिग्रहण शामिल होगा, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं होगा. जीएनसीटीडी (दिल्ली सरकार) यह सुनिश्चित करेगी कि भूमि के अधिग्रहण/हस्तांतरण के कारण परियोजना के कार्यान्वयन में कोई देरी न हो. 

...जब तक कर्ज का पूरा भुगतान नहीं कर दिया जाता

दिल्ली सरकार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) का भी गठन करेगी, जो कार्यान्वयन के संबंध में शहर के सभी सरकारी स्तर के मुद्दों को संबोधित करेगी और उनका समाधान करेगी, विशेष रूप से भूमि अधिग्रहण, उपयोगिताओं के डायवर्जन, संरचनाओं के स्थानांतरण के संबंध में. बयान में कहा गया, "एमओयू के अनुसार, प्रभावी यातायात निगरानी और प्रवर्तन के साथ-साथ भविष्य की योजना के लिए डेटा उत्पादन और डेटा संग्रह के लिए एक यातायात सूचना प्रबंधन नियंत्रण केंद्र स्थापित किया जाएगा." समझौता ज्ञापन तब तक वैध रहेगा, जब तक परियोजना के लिए कर्ज का पूरा भुगतान नहीं कर दिया जाता. यह भी समझा जाता है कि दिल्ली सरकार और भारत सरकार की आपसी सहमति से इस समझौता ज्ञापन को आगे बढ़ाया जा सकता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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