गोवा में शुक्रवार (20 सितंबर) को होने वाली जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक पर पूरी कार इंडस्ट्री की नज़र है. क्या ऑटो सेक्टर (Auto Sector) को मंदी से उबारने के लिए जीएसटी काउंसिल टैक्स कटौती कर सकती है? हालांकि बिहार के वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी इशारा कर चुके हैं कि काउंसिल का ऐसा कोई इरादा नहीं है. बुधवार को रांची में 'हिन्दुस्तान पूर्वोदय सम्मेलन' में सुशील मोदी ने कहा था, 'एक दर्जन राज्यों के वित्त मंत्रियों से बात हुई है. कोई भी राज्य ऑटो, बिस्किट या अन्य मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर पर टैक्स में छूट देने के लिए तैयार नहीं है. आम सहमति ये है कि ऑटो सेक्टर में किसी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी. 45 हज़ार करोड़ राजस्व का नुकसान है. इसकी भरपाई कौन करेगा?'
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ये बयान ऐसे वक्त पर आया है जब इस साल टैक्स कलेक्शन टारगेट से पीछे चल रहा है और मंदी का साया अर्थव्यवस्था पर बढ़ता जा रहा है. एसोचैम के डिप्टी सेक्रेटरी सौरभ सानयाल ने कहा कि जीएसटी काउंसिल को ऑटो कंपोनेंट मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर में जीएसटी घटाकर 16% करना चाहिए. अगर ऑटो कंपोनेंट सेक्टर और स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज को इकॉनमिक क्राइसिस से रिवाइव करना है तो जीएसटी को घटना पड़ेगा. लग्जरी कार सेगमेंट को उच्च GST स्लैब में रखा जा सकता है क्योंकि पैसे वाले लोग ऊंची कीमतों को अफोर्ड कर सकते हैं.
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मगर सरकारों के सामने असली सवाल यही है कि उनका 45,000 करोड़ का घाटा कैसे पूरा होगा? एक तरफ जहां आर्थिक मंदी की वजह से सरकार टैक्स कलेक्शन के अपने टारगेट को पूरा नहीं कर पा रही, वहीं दूसरी ओर मंदी की मार झेल रहे ऑटो समेत कई और सेक्टर टैक्स में राहत की मांग कर रहे हैं. अब देखना होगा कि जीएसटी काउंसिल आगे क्या रणनीति तय करती है?
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