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This Article is From Mar 16, 2024

Exclusive : क्या अमेरिका फिलिस्तीनियों को नागरिकता देगा? CAA पर हरीश साल्वे की टिप्पणी

Harish Salve exclusive interview : हरीश साल्वे ने सीएए पर अमेरिका से तीखे सवाल पूछे हैं. इसके साथ ही सीएए को लेकर उठ रहे सवालों के भी जवाब दिए.

Exclusive : क्या अमेरिका फिलिस्तीनियों को नागरिकता देगा? CAA पर हरीश साल्वे की टिप्पणी
देश के प्रतिष्ठित वकीलों में शुमार हरीश साल्वे ने सीएए को लेकर दिलचस्प जवाब दिए.
नई दिल्ली:

दिग्गज वकील हरीश साल्वे ने एनडीटीवी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर अमेरिका की हालिया टिप्पणी की तीखी आलोचना की. अमेरिकी विदेश विभाग ने इस सप्ताह सीएए पर कहा था कि अमेरिकी सरकार सीएए के लागू करने के तरीकों की बारीकी से निगरानी कर रही है. साल्वे ने अमेरिकी रुख पर सवाल खड़े करते हुए पूछा, "क्या अमेरिका दुनिया भर में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए अपने बॉर्डर खोलेगा?  क्या अमेरिका पाकिस्तान के अहमदिया, म्यांमार के रोहिंग्या या उन गरीब फिलिस्तीनियों को खुली नागरिकता देगा, जिन्हें बेरहमी से मारा जा रहा है? अगर नहीं तो मैं कहता हूं, अमेरिका, चुप रहो."

हरीश साल्वे ने अमेरिका से इजराइल के प्रति अपने समर्थन पर पुनर्विचार करने और अन्य देशों को उपदेश देने की बजाय अपनी आंतरिक चुनौतियों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया. नागरिकता कानून केवल तीन मुस्लिम-बहुल देशों बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, पारसियों, बौद्धों या जैनियों से संबंधित है, जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण भाग गए और 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर गए.

साल्वे ने एनडीटीवी को बताया, "पाकिस्तान ने खुद को एक इस्लामिक राज्य घोषित किया था. बांग्लादेश भी खुद को एक इस्लामिक गणराज्य कहता है और हम सभी तालिबान के साथ अफगानिस्तान के दुर्भाग्य को जानते हैं.  चीजें बदल गईं हैं. इसीलिए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि इन देशों में गैर-इस्लामी आबादी में नाटकीय रूप से गिरावट आई है. इसलिए यदि भारत कहता है कि जो लोग भारतीय मूल के हैं और भारतीय उपमहाद्वीप के पारसी, सिख, ईसाई, हिंदू हैं ...उन्हें फास्ट-ट्रैक नागरिकता मिलेगी क्योंकि इन इस्लामिक राज्यों में उन्हें अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने की अनुमति नहीं है.''

"सभी के लिए बॉर्डर खोल दें?"
सताए गए अल्पसंख्यकों के लिए सीमाएं खोलने के मुद्दे पर हरीश साल्वे ने कहा कि शरणार्थियों को समायोजित करने की भारत की क्षमता सीमित है.  साल्वे ने एनडीटीवी से पूछा, "क्या हमें अपनी सीमाएं सभी के लिए खोल देनी चाहिए? काश भगवान ने हमें संसाधन दिए होते. सिर्फ पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश को ही इसमें क्यों शामिल किया जाए, श्रीलंका या म्यांमार को क्यों नहीं? ऐसा इसलिए है क्योंकि श्रीलंका और म्यांमार धार्मिक राज्य नहीं हैं."

सरकार का सीएए पर बयान
सरकार के अनुसार, सीएए मुसलमानों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से प्रतिबंधित नहीं करता है. यदि उन्हें अपनी धार्मिक मान्यताओं के कारण उपरोक्त देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. एक सरकारी बयान में कहा गया है, "सीएए अन्य कानूनों को रद्द नहीं करता है. इसलिए, विदेशों से आए मुस्लिम प्रवासियों सहित कोई भी व्यक्ति, जो भारतीय नागरिक बनना चाहता है, आवेदन कर सकता है."

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