Coronavirus: भारत में कोरोना वायरस की कितनी प्रजाति है इसको लेकर फिलहाल कोई ठोस प्रमाण नहीं है लेकिन लगातार होते जीनोम सिक्वेंसिंग के दम पर CSIR ने दावा किया है कि अगले हफ्ते तक वो इस बात को बता पाने में सक्षम होगा. वहीं, इम्युनिटी बढ़ाने की दिशा के तहत वैक्सीन बनाने में जुटा है. इस बारे में ट्रायल शुरू होने वाला है और नतीजे 4-6 हफ्तों में मिलने शुरू हो जाएंगे.यह कहना है काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च यानी CSIR के महानिदेशक डॉ. शेखर मांडे का. कोरोना वायरस के वैक्सीन और इस वायरस से जुड़े अन्य मुद्दों पर उन्होंने NDTV के साथ बातचीत की. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाना लंबी प्रक्रिया है, इस बारे में रिसर्च का काम चल रहा है. हम होस्ट की प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाने को लेकर वैक्सीन बनाने तक के काम में जुटे हुए हैं, आने वाले दिनों में इसके अच्छे परिणाम मिलने की संभावना है.
डॉ. मांडे ने कहा कि हम वायरस के जीनोम की सिक्वेंसिंग कर रहे हैं, इस सिक्वेंसिंग के जरिये ही पता चलता है कि अगर किसी में वायरस आया तो वो वह किसके जरिये और किस तरह से आया है. यदि वायरस अपने आपको बदल (mutate) रहा है और ड्रग प्रतिरोधी (Resistant) स्ट्रेन निकल रहा हो तो इसका पता भी सिक्वेंसिंग से लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि NIV पुणे ने 25 सिक्वेंसिंग किया है, इसके अलावा हमारी दो लैब ने 30 जीनोम सिक्वेंसिंग की हैं. आने वाले दो हफ्तों में यह संख्या 500 से 1000 तक पहुंच जाएगी.
CSIR के डीजी ने बताया कि हमने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) का अप्रूवल लेकर लेप्रोसी यानी कुष्ठ रोग के इलाज में कारगर MW वैक्सीन का टेस्ट शुरू किया है. हमें अभी दो और मंजूरी मिलनी बाकी है. उम्मीद है कि एक या दो दिन में यह मंजूरी मिल जाएगी और उसके बाद हम ट्रायल शुरू कर देंगे. आने वाले 6 हफ्तों तक यह पता चल जाएगा कि यह वैक्सीन इलाज में कितना प्रभावी है. मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि इसके पेपर बेस्ड टेस्ट अच्छे परिणाम सामने आए हैं.हमारा अनुसंधान हर चीज़ पर चल रहा है और खास जोर इस बात पर है कि यह सब देश में बने.
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