NEET यानी नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (अंडरग्रेजुएट) को लेकर देश भर में उबाल है. स्टूडेंट्स, उनके अभिभावकों के गुस्से को देखते हुए विपक्ष तो एक्टिव हुआ ही मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. इस मसले पर एनडीटीवी ने देश के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से बात की. उन्हें बताया कि कई लोग इस परीक्षा की प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं. इस पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों घबराने की जरूरत नहीं है. एक भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होगा. अभी तक पेपर लीक का कोई सबूत नहीं है. इस तरह के आरोप हैं और सक्षम अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं. संबंधित अधिकारियों की जांच का इंतजार कीजिए. सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए 8 जुलाई तक इंतजार करना चाहिए. सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है. एक भी चीज में गड़बड़ नहीं होने दी जाएगी.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि 23 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं ने भारत में 4,700 से अधिक केंद्रों और 14 विदेशी केंद्रों पर 13 भाषाओं में नीट की इस बार परीक्षा दी. दो केंद्रों पर कुछ आरोप लगाए गए हैं. जो लोग गलत काम में शामिल होंगे, उन्हें कड़ी सजा मिलेगी. धर्मेंद्र प्रधान ने छात्रों से अपील करते हुए कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है. कुछ विसंगतियां हमारे सामने आईं हैं. हम इस मुद्दे से अवगत हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कल फैसला सुनाया है. उसके बाद कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी 1,563 प्रभावित छात्रों को फिर से परीक्षा देने का मौका मिलेगा. जो इच्छुक हैं, वे छह विशिष्ट केंद्रों में दोबारा परीक्षा देने का विकल्प चुन सकते हैं.
सरकार ने क्या किया?
परीक्षा आयोजित करने वाली राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी या एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप तक कार्रवाई क्यों नहीं की? इस सवाल पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह सच नहीं है. विसंगति सामने आने के बाद एनटीए एक फॉर्मूला लेकर आया- ग्रेस मार्क फॉर्मूला. इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी उद्धृत किया था. हालांकि, उस फॉर्मूले में कुछ विसंगतियां पाईं गईं क्योंकि जिन छात्रों को ग्रेस मार्क मिले, उनमें से छह छात्र टॉपर बने. यह कई छात्रों के लिए एक आंख की किरकिरी थी. फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए तो केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया और एक समिति का गठन किया. पैनल ने प्रभावित अभ्यर्थियों के लिए छह केंद्रों पर फिर से परीक्षा की सिफारिश की.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि विपक्ष के आरोपों पर कहा कि यह उनका निहित स्वार्थ है. पिछले साल का एनईईटी टॉपर तमिलनाडु राज्य बोर्ड से था. छात्र ग्रामीण तमिलनाडु से था. तो आरोप क्या हैं?" आपको बता दें कि 5 मई को आयोजित नीट परीक्षा के नतीजे 14 जून को घोषित होने की उम्मीद थी. हालांकि, कथित तौर पर उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन हो जाने के कारण वे 4 जून को ही घोषित हो गए. नतीजों से पता चला कि 1,563 अभ्यर्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए गए. प्रवेश परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं, गलत प्रश्न-पत्र बांटे जाने, ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन, ओएमआर शीट फाड़े जाने या शीट वितरण में देरी के आरोप लगने के बाद केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया. यदि 1,563 उम्मीदवारों में से कोई भी दोबारा परीक्षा नहीं देने का विकल्प चुनता है, तो उनका पिछला स्कोर बिना ग्रेस मार्क्स के बहाल कर दिया जाएगा.
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