सरकार ने अर्धन्यायिक कार्यवाही पूरी होने पर यूपीए के 16 पूर्व मंत्रियों को अपना बंगला खाली करने का नया नोटिस जारी किया है।
शहरी विकास विभाग के एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि लोकसभा या राज्य सभा की अब सदस्यता नहीं रखने वाले 16 पूर्व मंत्रियों को बंगला खाली करने का आदेश दिया गया है। संबद्ध अर्ध न्यायिक प्राधिकार द्वारा सुनवाई पूरी किए जाने के बाद ये आदेश जारी किए गए हैं।
पूर्व मंत्रियों में अजीत सिंह, कपिल सिब्बल, श्रीकांत जेना, कृष्णा तीरथ, फारूक अब्दुल्ला और बेनी प्रसाद वर्मा भी शामिल हैं, जिन्हें बगैर देर किए सरकारी बंगले खाली करने के आदेश दिया गया है।
दरअसल, 26 जुलाई को एक महीने की अतिरिक्त अवधि खत्म होने के बाद 16 पूर्व मंत्रियों के आवास खाली करने के मामले डायरेक्टरेट ऑफ स्टेट ने अर्ध न्यायिक प्राधिकार को सौंप दिया था।
पूर्व मंत्री गिरिजा व्यास, कृष्णा तीरथ ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर दलील पेश की, जबकि सिब्बल, सिंह, अब्दुल्ला और पल्लम राजू ने अपनी दलील पेश करने के लिए अर्ध न्यायिक प्राधिकार के पास अपने प्रतिनिधि भेजे थे।
सिब्बल जैसे कुछ पूर्व मंत्रियों ने बताया कि उन्होंने बंगला खाली कर दिया गया है और आवास खाली करने का प्रमाण पत्र प्राप्त करने जैसी औपचारिकताएं ही सिर्फ बाकी रह गई है। अधिकारी ने बताया कि अर्ध न्यायिक कार्यवाही कल संपन्न हो गई और नया आदेश जारी किया जाना भी कल शुरू हो गया।
शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया था कि एक महीने से अनधिकृत रूप से सरकारी बंगले में रह रहे 16 पूर्व मंत्रियों को 26 जुलाई को बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया गया।
नायडू ने यह भी बताया था कि पूर्व मंत्रियों पर अनधिकृत रूप से रहने का करीब 21 लाख रूपये प्रति महीने का किराया बकाया है। समझा जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर ने मेडिकल आधार पर सरकारी बंगले में बने रहने की इजाजत मांगी थी जबकि अन्य ने वैकल्पिक व्यवस्था करने के बाद सरकारी आवास खाली करने के लिए कुछ और वक्त मांगा था।
नायडू के लोकसभा में दिए जवाब में जिक्र किए गए अन्य मंत्रियों में सचिन पायलट, जितेन्द्र सिंह, प्रदीप जैन आदित्य, पी बलराम नाइक, किल्ली कृपरानी, माणिकराव गावित और लालचंद कटारिया शामिल हैं।
अधिकारी ने बताया कि करीब 70 पूर्व सांसदों द्वारा अभी अपना सरकारी आवास खाली किया जाना बाकी है, जिन्हें नोटिस दिया गया था।
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