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This Article is From Apr 26, 2017

अनंतनाग उपचुनाव पर चुनाव आयोग और जम्मू एवं कश्मीर सरकार आमने-सामने

अनंतनाग उपचुनाव पर चुनाव आयोग और जम्मू एवं कश्मीर सरकार आमने-सामने
श्रीनगर उपचुनाव के दौरान हिंसा की घटनाओं में कम से कम आठ लोगों की मौत हुई थी, और कई वाहनों को फूंक दिया गया था...
नई दिल्ली: जम्मू एवं कश्मीर की अनंतनाग लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राज्य की पीडीपी-बीजेपी सरकार तथा केंद्रीय चुनाव आयोग आमने-सामने आ गए हैं. चुनाव आयोग अभी तक 25 मई को ही अनंतनाग में उपचुनाव करवाने पर अड़ा हुआ है, और दूसरी तरफ राज्य सरकार नवंबर से पहले चुनाव करवाने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार के मुताबिक अभी वहां हालात चुनाव के अनुकूल नहीं हैं.

इन सबसे अलग, अब चुनाव आयोग अनंतनाग में मतदान को एक बार में नहीं, अलग-अलग चरणों में कराना चाहता है. पहले भी ऐसी ख़बरें आई थीं कि केंद्र सरकार भी कश्मीर के दोनों संसदीय इलाकों में उपचुनाव करवाने की इच्छुक नहीं थी, लेकिन चुनाव आयोग ने उसकी भी अनदेखी की थी. केंद्र ने इसके लिए आयोग को चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि फिलहाल चुनाव टाल दिया जाए, क्योंकि घाटी के हालात ठीक नहीं हैं.

वैसे, चुनाव आयोग की टीम दक्षिण कश्मीर के हालात का जायज़ा ले चुकी है। हालांकि बड़गाम और श्रीनगर उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा से हर कोई चितिंत है, और ऐसे सुरक्षा हालात को देखते हुए ही आयोग अनंतनाग सीट पर दो-तीन चरणों में चुनाव करवाना चाह रहा है, लेकिन राज्य सरकार उसके भी विरुद्ध है. राज्य सरकार के मुताबिक, वजह बड़गाम और श्रीनगर में हुए उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा है, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे.

सत्तासीन पीडीपी का तो यहां तक कहना है कि फिलहाल रियासत के लोग चुनाव के मूड में नहीं हैं, लिहाज़ा उपचुनाव को टाल देना चाहिए. गौरतलब है कि हिंसा के अलावा 9 अप्रैल को बड़गाम और श्रीनगर में हुए उपचुनाव में कुल सात फीसदी मतदान ही हुआ था. अनंतनाग सीट पर उपचुनाव भी 12 अप्रैल को ही होना था, लेकिन 9 अप्रैल को हुई हिंसा की वजह से ही उसे 25 मई तक टाला गया था.

ख़बर है कि खराब सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र राज्य सरकार ने सुरक्षाबलों की 300 अतिरिक्त कंपनियों की मांग की थी, लेकिन आयोग ने उन्हें इससे आधी संख्या में सुरक्षाबल मुहैया करवाया. श्रीनगर में हालात बिगड़ने की एक और बड़ी वजह यह भी रही थी कि सुरक्षाबलों की इनमें से करीब 65 कंपनियां तैनात ही नहीं की जा सकी थीं, क्योंकि वे मतदान वाले दिन दोपहर बाद पहुंचे थे.

इसी वजह से चुनाव आयोग ने अपने स्तर पर अब मतदान को चरणों में करवाने का फैसला लिया है, ताकि सुरक्षा के इंतज़ाम पुख्ता हो सकें. आयोग का मानना है कि 25 मई तक क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की हालत में सुधार आ जाएगा, जिससे वहां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जा सकेंगे.

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