चुनाव आयोग ने इंटरनेट दिग्गज गूगल के साथ प्रस्तावित करार न करने का फैसला किया है। प्रमुख राजनीतिक दलों सहित प्रमुख वर्गों से इस करार को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंता जताए जाने के बाद आयोग ने यह निर्णय किया।
अमेरिकी कंपनी गूगल ने इस संबंध में इसी सप्ताह चुनाव आयोग के सामने औपचारिक प्रस्ताव रखा था, जिसमें लोकसभा चुनाव से पहले मतदाताओं की सुविधा से जुड़ी सेवाएं प्रदान करने की बात कही गई थी।
आयोग ने गुरुवार को अपनी बैठक में मामले पर विस्तार से विचार करने के बाद इस दिशा में आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया। बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत और निर्वाचन आयुक्तों एच एस ब्रह्मा और एसएनए जैदी ने भाग लिया।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, 'मामले पर विचार विमर्श के बाद आयोग ने इस दिशा में आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया।'
चुनाव आयोग ने कहा कि गूगल ने मतदाताओं को बेहतर सूचना सेवाएं मुहैया कराने के आयोग के प्रयासों में मदद के लिए नागरिकों के लिए संबद्ध सेवाएं प्रदान करने का प्रस्ताव रखा था। आयोग ने इससे पहले गूगल के साथ एक खुलासा न करने संबंधी समझौते पर दस्तख्त किए थे, लेकिन अब तक उसे किसी तरह की कोई जानकारी या आंकड़े मुहैया नहीं कराए थे।
साइबरस्पेस के कुछ विशेषज्ञों सहित कांग्रेस और भाजपा ने प्रस्तावित समझौते पर चिंता प्रकट की थी और कहा था कि इस संबंध में एक फैसले से पहले शेयरधारकों से भी परामर्श किया जाना चाहिए।
कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर इस प्रस्तावित करार को सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए चिंता जताई थी और आशा व्यक्त की थी कि यह करार निर्वाचन प्रक्रिया और राष्ट्रीय सुरक्षा पर किसी तरह का असर नहीं डालेगा।
भाजपा ने भी इसपर चिंता जताई थी और कहा था कि इस मामले पर चुनाव आयोग द्वारा एक सर्वदलीय बैठक में विचार किया जाना चाहिए था।
निर्वाचन आयोग के कदम पर सवाल खड़ा करते हुए साइबर सुरक्षा से संबद्ध विशेषज्ञों के एक दल ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर भारतीयों से जुड़ा महत्वपूर्ण आंकड़ा एक विदेशी कंपनी के हवाले करने पर चिंता जताई थी।
यह चिंता ऐसे समय पर व्यक्त की गई है, जब भारतीयों से जुड़े अहम आंकड़े अमेरिकी गुप्तचर एजेंसियों को लीक किए जाने पर भी भवें तनी हुई हैं, जैसा एडवर्ड स्नोडेन ने खुलासा किया है।
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