मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) अब अपने बगावत के अंतिम पड़ाव पर पहुंच गए हैं. उन्होंने शिवसेना ( Shiv Sena) पार्टी पर दावा ठोंक दिया है. एकनाथ शिंदे जिस तरह तेजी से बढ़ रहे हैं उससे लगता है कि जल्द ही वो तीर-कमान पर अपना कब्जा जमा लेंगे. एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग को लिखा है कि उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray) द्वारा नियुक्त शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी (National Executive) भंग कर दी गई है और उन्होंने एक नई कार्यकारिणी का गठन किया है. गौरतलब है कि, BJP की मदद से एकनाथ शिंदे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ तख्तापलट का नेतृत्व किया था. उद्धव को सत्ता से बेदखल कर खुद महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने थे.
एखनाथ शिंदे ने अपने पत्र में लिखा है कि नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में शिवसेना के अधिकांश नेताओं ने हिस्सा लिया है. शिंदे जिस बहुमत का उल्लेख करते हैं, वह उनके नेतृत्व वाला बागी गुट है.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे को शिवसेना के नेता के रूप में हटाने के लिए यह एकनाथ शिंदे का पहला औपचारिक कदम है. शिंदे ने यह कदम उस दिन उठाया है जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में छह याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी जिसमें ये तय होगा कि शिवसेना का प्रभारी कौन है. सुप्रीम कोर्ट बगावत से जुड़ी याचिकाओं और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार द्वारा बगावत के दिनों में लिए गए विभिन्न फैसलों पर सुनवाई करेगा.
उद्धव ठाकरे ने यह आरोप लगाया था कि प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर विधायकों और सांसदों को उनके खिलाफ लामबंद किया गया. गौरतलब है कि, उद्धव ठाकरे खेमे के अधिकांश विधायकों ने एकनाथ शिंदे का साथ दिया था जिसकी वजह से उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी.
शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut), जो ठाकरे टीम में अभी भी बने हुए हैं, को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के सिलसिले में मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय ने आज पूछताछ के लिए बुलाया है. संजय राउत का आरोप है कि उन्हें लालच दिया गया और साथ ही दबाव डाला गया, लेकिन वह ठाकरे के खिलाफ विद्रोह नहीं करेंगे.
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