
- महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय की आरक्षण की मांगें मानने पर राजनीतिक बयानबाजी जारी है
- मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के "देवा भाऊ" बैनर पर विपक्ष के साथ-साथ सरकार के भीतर भी चर्चाएं हैं.
- एकनाथ शिंदे ने महायुति सरकार के मराठा और ओबीसी समुदाय को न्याय दिलाने के प्रयासों की सराहना की है.
महाराष्ट्र सरकार ने मराठों की मांगें मानकर उनका आंदोलन समाप्त कर दिया. इसको लेकर विपक्ष के साथ-साथ सरकार में भी कई तरह की बयानबाजी हो रही है. इस बीच महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के “देवा भाऊ” बैनर ने राजनीति और गरमा दी है. अब इस पर एकनाथ शिंदे का बयान भी आ गया है.
मराठा आरक्षण पर क्या बोले
एकनाथ शिंदे ने कहा कि गणेश चतुर्थी के दिन विसर्जन बड़े उत्साह के साथ किया जा रहा है. भक्तों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी. पुलिस की कड़ी तैनाती है. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. बप्पा के आशीर्वाद से सभी लोगों का दिन मंगलमय हो. वहीं “देवा भाऊ” के बैनर और अखबारों में देवेंद्र फडणवीस के विज्ञापन पर बोले कि हम श्रेय लेने के विवाद में नहीं हैं. महायुति सरकार मराठा और ओबीसी समुदाय को न्याय दिलाने के लिए काम कर रही है.
डिप्टी सीएम ने कहा कि महायुति सरकार को ढाई साल में किए गए कार्यों के लिए सराहना मिली है. देवेंद्र फडणवीस और मैंने एक टीम के रूप में दूसरी जीत की शुरुआत की है. सरकार तेज़ गति से इस राज्य का विकास कर रही है और आम गरीबों की मदद कर रही है.
जरांगे ने भुजबल को घेरा
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शुक्रवार को कहा कि मराठा समुदाय 1881 से ही आरक्षण का हकदार था, लेकिन इस समुदाय ने पहले यह मांग नहीं की क्योंकि यह एक प्रगतिशील समूह था किंतु अब उसे अपनी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए आरक्षण की जरूरत है. छत्रपति संभाजीनगर के एक अस्पताल में पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने यह बात कही. मुंबई में पांच दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त करने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्होंने महाराष्ट्र के मंत्री और प्रमुख ओबीसी नेता छगन भुजबल पर अपने समूह के अन्य लोगों को आगे नहीं बढ़ने देने का भी आरोप लगाया.
भुजबल और संजय राउत के बयान
उधर, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता छगन भुजबल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार ने आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे की हैदराबाद गजेटियर को लागू करने की मांग को स्वीकार करके भानुमति का पिटारा खोल दिया है. वहीं शिवसेना (यूबीटी) नेता और सांसद संजय राउत ने कहा है कि जब मांग करने वाले और मांगों को मंजूर करने वाले दोनों पक्ष संतुष्ट हैं, तो किसी तीसरे पक्ष को अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
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