
कोलकाता में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एक बड़े ऑनलाइन सट्टेबाज़ी और मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए पश्चिम बंगाल समेत दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश और असम में फैले कई ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया गया. इस ऑपरेशन के दौरान बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ और संदिग्ध दस्तावेज़ ज़ब्त किए गए हैं.
इस ऑपरेशन के दौरान ED ने 766 म्यूल बैंक अकाउंट्स और 17 डेबिट और क्रेडिट कार्ड्स फ्रीज़ कर दिए हैं. जो इस गैर-कानूनी सट्टेबाज़ी और जुए से जुड़े पैसों के लेनदेन में इस्तेमाल हो रहे थे. ED ने विशाल भारद्वाज उर्फ़ बादल भारद्वाज और सोनू कुमार ठाकुर नाम के दो आरोपियों को PMLA के तहत गिरफ़्तार भी किया है. दोनों को कोलकाता की विशेष अदालत में पेश किया गया,जहां से उन्हें 10 दिन की ED कस्टडी में भेज दिया गया है.
क्या है पूरा मामला
ये केस पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट की ओर से दर्ज एक FIR पर आधारित है. पुलिस चार्जशीट में विशाल और सोनू को आरोपी बनाकर फरार दिखाया गया था, जिन्हें अब ED ने धर दबोचा है.
कैसे चलता था ये सट्टेबाज़ी रैकेट
इस गिरोह का तरीका बेहद शातिराना था। ये लोग दूसरों के नाम से फर्ज़ी बैंक अकाउंट्स खुलवाते थे. सेविंग, करंट और कॉर्पोरेट अकाउंट तक. जिन लोगों के नाम पर ये अकाउंट खुलते थे, उन्हें एकमुश्त या हर महीने कुछ पैसे देकर मनी म्यूल बना लिया जाता था. असली कंट्रोल इन खातों पर स्कैम करने वाले गिरोह का होता था.
इन खातों में आता था पैसा
जांच में पता चला है कि ये लोग IPL, ISL, T20 वर्ल्ड कप, ऑनलाइन रम्मी, ऑनलाइन कसीनो जैसे खेलों पर सट्टा लगवाते थे. लोग इनसे जुड़े टेलीग्राम चैनल्स और WhatsApp नंबरों के ज़रिए जुड़ते थे, और फिर ऑनलाइन गेम्स में पैसा लगाते थे. इस पैसे को आगे लेयरिंग करके छुपाया जाता था, ताकि उसका असली स्रोत ट्रेस न हो सके.
क्या है आगे की कार्रवाई
ED ने इस पूरे नेटवर्क की तह तक पहुंचने के लिए जांच तेज़ कर दी है. मनी ट्रेल, बैंक खातों की जांच और इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है. इस मामले में और कई बड़े खुलासे होने की संभावना है.
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