
- प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया है.
- रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने हरियाणा में जमीन धोखाधड़ी से खरीदी थी, ED ने उनकी 37.64 करोड़ रुपए की संपत्तियां अटैच की हैं.
- उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ करोड़ों रुपये की जमीन फर्जीवाड़े के मामले में चार्जशीट दाखिल की गई है.
ED Action: राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा, छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य, छत्तीसगढ़ के ही पूर्व मंत्री कवासी लखमा, उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और आम आदमी पार्टी के दो बड़े नेता सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन... इन सभी की मुसीबत आज एक है. इस मुसीबत का नाम है प्रवर्तन निदेशालय (ED). दरअसल केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने अलग-अलग मामलों में इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की है. जिसके बाद अब ये सभी नेता अपने-अपने स्तर से अपनी बात रखने के लिए विशेषज्ञों से राय-मशविरा कर रहे होंगे.

सबसे बड़ी कार्रवाई भूपेश बघेल के परिवार पर, बेटा चैतन्य गिरफ्तार
शुक्रवार को ईडी की सबसे बड़ी कार्रवाई छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के परिवार को देखने को मिली. पूर्व सीएम के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया है. ईडी ने शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में चैतन्य बघेल की गिरफ्तार की है.
ईडी का आरोप है कि घोटाले का पैसा चैतन्य बघेल के पास जा रहा था. ये घोटाला साल 2019 से 2022 के बीच हुआ था और इससे 2161 करोड़ की कमाई की गई थी. इस मामले में ED अब तक करीब 205 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच कर चुकी है.
ईडी ने भूपेश बघेल के परिसरों पर शुक्रवार को फिर छापेमारी की थी. बताया जा रहा है कि मामले में नए साक्ष्य मिलने के बाद ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत दुर्ग जिले के भिलाई शहर में स्थित बघेल के आवास पर छापा मारा. यह पिता-पुत्र का साझा आवास है.

राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा की 37.64 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ शिकोहपुर भूमि से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चार्जशीट दाखिल की. ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा और उनकी कंपनी की 37.64 करोड़ रुपए की 43 संपत्तियों को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अटैच भी किया.
ईडी की चार्जशीट के अनुसार, रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुरुग्राम जिले के शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपए में 'झूठे दस्तावेजों' के आधार पर 'धोखाधड़ी' से खरीदी थी. इसमें यह भी कहा गया है कि रॉबर्ट वाड्रा ने 'रसूख' का इस्तेमाल कर खरीदी गई जमीन पर व्यावसायिक लाइसेंस हासिल किया.
यह जमीन खरीद सौदा फरवरी 2008 में हुआ था, जब हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे. हालांकि राहुल गांधी ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट को 'षड्यंत्र का हिस्सा' करार दिया है. राहुल गांधी ने आरोप लगाए कि उनके बहनोई रॉबर्ट वाड्रा को पिछले दस साल से यह सरकार (भाजपा सरकार) परेशान कर रही है.

उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल
उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की ईडी के शिकंजे में है. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत और तीन अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. मिली जानकारी के अनुसार सहसपुर में करोड़ों रुपये की जमीन फर्जीवाड़े के मामले में ईडी ने बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, दीप्ति रावत, लक्ष्मी राणा और पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.

छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री कवासी लखमा की करोड़ों की संपत्ति जब्त
छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान हुए 2100 करोड़ रुपये से अधिक के कथित शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में राज्य में कांग्रेस पार्टी के एक कार्यालय के अलावा उसके विधायक कवासी लखमा की संपत्ति कुर्क की है. इन संपत्तियों को कुर्क करने का अनंतिम आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जारी किया गया.
उन्होंने बताया कि कुर्क की गई संपत्तियों में पूर्व मंत्री लखमा, उनके बेटे हरीश लखमा और सुकमा जिले में कांग्रेस कार्यालय भवन की संपत्तियां शामिल हैं. इन संपत्तियों की कीमत 6.15 करोड़ रुपये है. यह पहली बार है कि संघीय जांच एजेंसी ने धन शोधन विरोधी कानून के तहत किसी राजनीतिक दल की संपत्ति जब्त की है.

AAP के बड़े नेता भी ED की रडार पर, मनी लॉन्ड्रिंग के 3 नए केस दर्ज
इन सबके अलावा आम आदमी पार्टी के नेता भी ईडी की रडार पर हैं. ईडी ने दिल्ली सरकार के कार्यकाल के दौरान सामने आए तीन बड़े कथित घोटालों में मनी लॉन्ड्रिंग के केस दर्ज कर लिए हैं. ये मामले अस्पताल निर्माण, सीसीटीवी परियोजना और शेल्टर होम से संबंधित हैं.
- पहला मामला 5,590 करोड़ रुपए के अस्पताल निर्माण घोटाले से जुड़ा हुआ है. इस घोटाले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. साल 2018-19 में दिल्ली सरकार द्वारा 24 अस्पताल परियोजनाएं मंजूर की गई थीं. इन आईसीयू अस्पतालों को छह महीने में तैयार करना था, लेकिन तीन साल बाद भी निर्माण कार्य अधूरा है. अब तक करीब 800 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन सिर्फ 50 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है.
- दूसरा मामला 571 करोड़ रुपए के सीसीटीवी घोटाले से जुड़ा है. 2019 में दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना बनाई गई थी. यह ठेका भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (भेल) को दिया गया, लेकिन परियोजना समय पर पूरी नहीं हुई. भेल पर 17 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया, जिसे बाद में बिना किसी स्पष्ट कारण के माफ कर दिया गया था.
- तीसरा मामला 207 करोड़ की गड़बड़ी का डीयूएसआईबी शेल्टर होम घोटाले से जुड़ा है. दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड (डीयूएसआईबी) से जुड़ी परियोजनाओं में भी गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है.
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