नई दिल्ली:
देश की अर्थव्यवस्था जब बदहाली के दौर से गुजर रही है, कई कंपनियां लागत घटाने के लिए श्रमशक्ति के पुनर्गठन पर ध्यान दे रही हैं। एक शोध रपट में इस तथ्य का खुलासा किया गया है।
औद्योगिक संगठन, एसोचैम द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आने वाले दिनों में स्थिति और विकट हो सकती है।
'रोजगार पर सुस्ती के प्रभाव पर शोध रिपोर्ट' शीर्षक से एसोचैम की रिपोर्ट में कहा गया है, "अधिकाधिक कंपनियां लागत घटाने के लिए परामर्श कंपनियों से संपर्क कर रही हैं, ताकि संकट की घड़ी का वे सामना कर सकें।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क, बंदरगाह और हवाईअड्डा जैसी आधारभूत संरचनाओं से जुड़ी कंपनियां, रत्न और आभूषण, शिक्षा समाधान, रियल्टी, गैर-बैंकिंग फायनेंस कंपनियां (खासकर गोल्ड-लोन खंड की), मीडिया, जनसंपर्क और विज्ञापन से जुड़ी कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी का तरीका अपना रही हैं।
इसमें कहा गया है, "दुखद बात यह है कि आने वाले सप्ताहों में स्थिति बेहतर होने की जगह खराब ही होने की संभावना है। जिन क्षेत्रों पर अधिक बुरा असर पड़ा है, उन क्षेत्रों की कंपनियां नुकसान को कम से कम करने पर ध्यान दे रही हैं।"
औद्योगिक संगठन, एसोचैम द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आने वाले दिनों में स्थिति और विकट हो सकती है।
'रोजगार पर सुस्ती के प्रभाव पर शोध रिपोर्ट' शीर्षक से एसोचैम की रिपोर्ट में कहा गया है, "अधिकाधिक कंपनियां लागत घटाने के लिए परामर्श कंपनियों से संपर्क कर रही हैं, ताकि संकट की घड़ी का वे सामना कर सकें।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क, बंदरगाह और हवाईअड्डा जैसी आधारभूत संरचनाओं से जुड़ी कंपनियां, रत्न और आभूषण, शिक्षा समाधान, रियल्टी, गैर-बैंकिंग फायनेंस कंपनियां (खासकर गोल्ड-लोन खंड की), मीडिया, जनसंपर्क और विज्ञापन से जुड़ी कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी का तरीका अपना रही हैं।
इसमें कहा गया है, "दुखद बात यह है कि आने वाले सप्ताहों में स्थिति बेहतर होने की जगह खराब ही होने की संभावना है। जिन क्षेत्रों पर अधिक बुरा असर पड़ा है, उन क्षेत्रों की कंपनियां नुकसान को कम से कम करने पर ध्यान दे रही हैं।"
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