
- हिमाचल प्रदेश के चंबा में बुधवार तड़के करीब एक घंटे में दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए.
- पहला भूकंप सुबह 3 बजकर 27 मिनट पर आया जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.3 मापी गई.
- दूसरा भूकंप सुबह 4 बजकर 39 मिनट पर आया और इसकी तीव्रता पहली से अधिक 4.0 दर्ज की गई.
हिमाचल प्रदेश के चंबा में बुधवार तड़के करीब एक घंटे में दो बार भूकंप महसूस किया गया. चंबा में बुधवार तड़के 3 बजकर 27 मिनट पर पहला भूकंप आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.3 आंकी गई. वहीं दूसरा भूकंप 4 बजकर के 39 मिनट पर आया. यह पिछले भूकंप की तुलना में तेज था और इसकी तीव्रता 4.0 रही. इसके अलावा एक अन्य भूकंप पाकिस्तान में भी रिकॉर्ड किया गया है.
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बुधवार तड़के भूकंप आने की जानकारी दी है. केंद्र के मुताबिक, चंबा में पहला भूकंप 3 बजकर के 27 मिनट पर आया और इसकी गहराई जमीन की सतह से 20 किमी नीचे थी.
EQ of M: 3.3, On: 20/08/2025 03:27:09 IST, Lat: 32.87 N, Long: 76.09 E, Depth: 20 Km, Location: Chamba, Himachal Pradesh.
— National Center for Seismology (@NCS_Earthquake) August 19, 2025
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जमीन की सतह से 10 किमी नीचे रहा केंद्र
इसके करीब एक घंटे बाद आए भूकंप का केंद्र भी चंबा ही रहा. यहां पर सुबह 4 बजकर 39 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र जमीन की सतह से 10 किमी नीचे रहा.
EQ of M: 4.0, On: 20/08/2025 04:39:45 IST, Lat: 32.71 N, Long: 76.11 E, Depth: 10 Km, Location: Chamba, Himachal Pradesh.
— National Center for Seismology (@NCS_Earthquake) August 19, 2025
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इसलिए आता है भूकंप
धरती की बाहरी सतह (जिसमें क्रस्ट और ऊपरी मेंटल आते हैं) 15 बड़ी-छोटी प्लेटों से बनी है. ये प्लेट स्थिर नहीं हैं और बल्कि बहुत धीरे इधर-उधर घूमती हैं. जब ये प्लेट एक दूसरे के सापेक्ष (आमने-सामने) में आती हैं तो एक-दूसरे से रगड़ खाती हैं, तब भूकंप आता है.
हिमालय में इसलिए आते हैं इतने भूकंप
हिमाचल में इतने भूकंप आने के पीछे दो टैक्टोनिक प्लेट्स के टकराना कारण है. दरअसल, 4 से 5 करोड़ साल पहले यूरेशियन प्लेट से भारतीय प्लेट टकराई थी. अब भारतीय प्लेट धीरे-धीरे यूरेशियन प्लेट के नीचे जा रही है. भारतीय प्लेट हर साल 5 सेमी आगे बढ़ रही है. टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने के कारण ही हिमालय बना ह और इन प्लेट्स के कारण ही हिमालय में इतने भूकंप आते हैं और इसी दबाव के कारण हिमालय की ऊंचाई इतनी बढ़ी है.
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