फाइल फोटो
नई दिल्ली:
केंद्र ने निलंबित आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन के मामले में हस्तक्षेप नहीं करने का फैसला किया है क्योंकि उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निलंबित किए जाने के फैसले को चुनौती देने के लिए कोई अपील नहीं की है।
गौरतलब है कि नागपाल के निलंबन ने विवादों को जन्म दिया था।
नागपाल ने उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में सक्रिय रेत खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई की थी। उन्हें उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कथित तौर पर एक स्थानीय निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिराने का आदेश देने के लिए पिछले महीने निलंबित किया गया था।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अधिकारी ने केंद्र के समक्ष अपील नहीं की है। इसलिए केंद्र सरकार मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। हालांकि, वह सुनिश्चित करेगी कि समूची अनुशासनात्मक प्रक्रिया नियमों के अनुसार चलाई जाए।’
उन्होंने कहा कि नागपाल ने पहले ही उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा दिए गए आरोपपत्र का जवाब भेज दिया है।
गत 27 जुलाई को नागपाल के निलंबन के बाद केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार को तीन पत्र भेजे थे जिसमें विस्तृत रिपोर्ट की मांग की गई थी।
राज्य सरकार ने 4 अगस्त को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को नागपाल के निलंबन पर एक रिपोर्ट भेजी थी और उन्हें आरोप पत्र सौंपा था जिसमें समाजवादी पार्टी सरकार ने उनकी कार्रवाई को गैर जरूरी और नियमों के खिलाफ बताते हुए उनसे जवाब मांगा गया था।
साल 2010 बैच की आईएएस अधिकारी नागपाल ने 16 अगस्त को आरोपपत्र का जवाब दिया था। उसमें ऐसा समझा जाता है कि उन्होंने नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन किया।
अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 की धारा (6ए) के अनुसार किसी अधिकारी के निलंबन के 15 दिन के भीतर केंद्र को विस्तृत रिपोर्ट भेजनी होती है। नियम में कहा गया है कि असंतुष्ट अधिकारी निलंबन का आदेश मिलने की तारीख से 45 दिन की अवधि के भीतर केंद्र के समक्ष अपील कर सकता है।
डीओपीटी अधिकारियों ने कहा कि वे आरोप पत्र पर नागपाल के जवाब के मामले में (उत्तर प्रदेश प्रशासन के) अनुशासनात्मक प्राधिकार द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं।
इस बीच, तीन अखिल भारतीय सेवा संघों के प्रतिनिधियों ने नियमों में बदलाव की मांग की है ताकि राज्य सरकारों की लोक सेवकों के स्थानांतरण की शक्ति के दुरूपयोग पर अंकुश लगाया जा सके।
यह मांग भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) एसोसिएशनों ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव के साथ कल यहां अपनी मुलाकात में की।
उन्होंने अधिकारियों को निलंबित करने की शक्ति भी राज्य सरकारों से वापस लेने और केंद्र को दिए जाने की मांग की।
गौरतलब है कि नागपाल के निलंबन ने विवादों को जन्म दिया था।
नागपाल ने उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में सक्रिय रेत खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई की थी। उन्हें उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कथित तौर पर एक स्थानीय निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिराने का आदेश देने के लिए पिछले महीने निलंबित किया गया था।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अधिकारी ने केंद्र के समक्ष अपील नहीं की है। इसलिए केंद्र सरकार मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। हालांकि, वह सुनिश्चित करेगी कि समूची अनुशासनात्मक प्रक्रिया नियमों के अनुसार चलाई जाए।’
उन्होंने कहा कि नागपाल ने पहले ही उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा दिए गए आरोपपत्र का जवाब भेज दिया है।
गत 27 जुलाई को नागपाल के निलंबन के बाद केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार को तीन पत्र भेजे थे जिसमें विस्तृत रिपोर्ट की मांग की गई थी।
राज्य सरकार ने 4 अगस्त को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को नागपाल के निलंबन पर एक रिपोर्ट भेजी थी और उन्हें आरोप पत्र सौंपा था जिसमें समाजवादी पार्टी सरकार ने उनकी कार्रवाई को गैर जरूरी और नियमों के खिलाफ बताते हुए उनसे जवाब मांगा गया था।
साल 2010 बैच की आईएएस अधिकारी नागपाल ने 16 अगस्त को आरोपपत्र का जवाब दिया था। उसमें ऐसा समझा जाता है कि उन्होंने नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन किया।
अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 की धारा (6ए) के अनुसार किसी अधिकारी के निलंबन के 15 दिन के भीतर केंद्र को विस्तृत रिपोर्ट भेजनी होती है। नियम में कहा गया है कि असंतुष्ट अधिकारी निलंबन का आदेश मिलने की तारीख से 45 दिन की अवधि के भीतर केंद्र के समक्ष अपील कर सकता है।
डीओपीटी अधिकारियों ने कहा कि वे आरोप पत्र पर नागपाल के जवाब के मामले में (उत्तर प्रदेश प्रशासन के) अनुशासनात्मक प्राधिकार द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं।
इस बीच, तीन अखिल भारतीय सेवा संघों के प्रतिनिधियों ने नियमों में बदलाव की मांग की है ताकि राज्य सरकारों की लोक सेवकों के स्थानांतरण की शक्ति के दुरूपयोग पर अंकुश लगाया जा सके।
यह मांग भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) एसोसिएशनों ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव के साथ कल यहां अपनी मुलाकात में की।
उन्होंने अधिकारियों को निलंबित करने की शक्ति भी राज्य सरकारों से वापस लेने और केंद्र को दिए जाने की मांग की।
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